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Bihar Election: LJP की छवि का चिराग ने किया कायापलट, ‘वोटकटुआ’ से धीरे धीरे बन गई किंगमेकर पार्टी 

Bihar Election: LJP की छवि का चिराग ने किया कायापलट, ‘वोटकटुआ’ से धीरे धीरे बन गई किंगमेकर पार्टी 

बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और इसके केंद्र में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने बेहतरीन प्रदर्शन और एनडीए में बढ़ती अहमियत के कारण लोजपा (आर) अब जेडीयू की जगह लेने की ओर बढ़ती दिख रही है। हालिया घटनाक्रम और राजनीतिक संकेतों से यह साफ है कि चिराग की पार्टी अब एनडीए में 'वोट कटर' से 'किंगमेकर' की भूमिका में आ गई है।

एलजेपी की ओर जेडीयू के वोटर

बिहार की राजनीति में अब यह चर्चा आम हो गई है कि जेडीयू का पारंपरिक वोटर धीरे-धीरे एलजेपी (रामविलास) की ओर बढ़ रहा है। नीतीश कुमार के नेतृत्व और चिराग की पूरे बिहार में लोकप्रियता से मतदाताओं में बढ़ते असंतोष ने एलजेपी को एक वैकल्पिक ताकत बना दिया है। चिराग तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, खासकर शहरी और युवा मतदाताओं के बीच। सी-वोटर सर्वे के अनुसार मई 2025 तक चिराग की लोकप्रियता 10.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि जेडीयू नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की लोकप्रियता गिरकर 6.6 प्रतिशत रह गई है।

33 सीटों पर दावा और 'चिराग फॉर सीएम' के पोस्टर

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान की पार्टी ने 33 सीटों पर दावा ठोका है। इसके साथ ही राज्य में जगह-जगह 'चिराग फॉर सीएम' के पोस्टर दिखने लगे हैं। हालांकि चिराग ने सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा मानने का दावा दोहराया है, लेकिन कार्यकर्ताओं में बढ़ता उत्साह यह साफ करता है कि पार्टी अब सिर्फ समर्थन तक सीमित नहीं रहना चाहती है।

2020 के चुनाव में जेडीयू को हुआ था भारी नुकसान

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने अकेले 137 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। एलजेपी खुद सिर्फ एक सीट जीत पाई, लेकिन जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया। पार्टी के 73 उम्मीदवार ऐसे थे जिन्हें जीत-हार के अंतर से ज़्यादा वोट मिले और इनमें से 33 उम्मीदवार जेडीयू की हार की वजह बने. जेडीयू 2015 में 71 सीटों से गिरकर 2020 में सिर्फ़ 43 पर आ गई. इस गिरावट के लिए खुद नीतीश कुमार ने चिराग को ज़िम्मेदार ठहराया. 2024 के लोकसभा में पांच में से पांच सीटें जीतकर मजबूत हुए 2020 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद चिराग पासवान ने 2024 के लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी की. एनडीए के तहत एलजेपी ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी पर जीत हासिल की. यह प्रदर्शन न सिर्फ़ उनके नेतृत्व को वैधता प्रदान करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एलजेपी अब सिर्फ़ 'पासवान वोटों' की पार्टी नहीं रह गई है, बल्कि एक सर्वांगीण एससी और संभावित रूप से सर्वांगीण बिहार की पार्टी के रूप में उभर रही है. लोजपा की बदलती छवि और आगे की राह

2020 के चुनाव में 'वोट कटवा' कही जाने वाली चिराग पासवान की पार्टी अब एनडीए का सबसे विश्वसनीय घटक बनकर उभरी है। उनकी रणनीति साफ है- पारंपरिक पासवान वोट बैंक को मजबूत आधार बनाकर गैर-दलित और युवा मतदाताओं तक पहुंचना। पार्टी ने चिराग को सामान्य सीट से उतारने का प्रस्ताव भी पारित किया है, जो इस बात का संकेत है कि अब वे दलित नेता की परिधि से आगे बढ़कर राज्यव्यापी नेतृत्व की ओर बढ़ रहे हैं।
चिराग पासवान की इस नई राजनीतिक पारी ने न सिर्फ लोजपा की छवि बदली है, बल्कि जेडीयू जैसी पुरानी पार्टियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एनडीए में लोजपा (रामविलास) का बढ़ता कद बिहार की आगामी राजनीति में कई नए समीकरण बना सकता है।

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