Bihar Elections 2025 : महागठबंधन में सीटों पर बन गई बात? 50 सीट पर चुनाव लड़ सकती है कांग्रेस, जानिए ओवैसी का क्या
बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी सिलसिले में महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। सूत्रों से पता चला है कि बातचीत लगभग अंतिम चरण में है। कांग्रेस 2020 की तरह 70 सीटें चाहती है। वहीं, राजद उसे 50-55 सीटों से ज़्यादा देने को तैयार नहीं है। हालाँकि, उम्मीद है कि दोनों दल 58-60 सीटों पर सहमत हो जाएँगे।
2020 में महागठबंधन में किस दल ने कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था?
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। 2020 के चुनाव में राजद ने 144, कांग्रेस ने 70 और वामपंथी दलों ने मिलकर 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। राजद 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। लेकिन, कांग्रेस को केवल 19 सीटें ही मिलीं। भाकपा (माले) ने 19 में से 12 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया।
महागठबंधन में राजद-कांग्रेस कितनी सीटों की मांग कर रहे हैं?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजद इस बार 135-140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमने कांग्रेस को समझाने की कोशिश की है कि इस बार उसे ज़्यादा सहयोगियों को साथ लेकर चलना होगा। इसलिए उसे कुछ त्याग भी करने होंगे।' इसका मतलब है कि कांग्रेस को कम सीटें लेनी होंगी, ताकि दूसरे दलों को भी मौका मिल सके।
इस बार महागठबंधन में मुकेश सहनी की वीआईपी शामिल है। पशुपति कुमार पारस की लोजपा भी शामिल हो सकती है। सहनी 60 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें 12 से ज़्यादा सीटें मिलने की उम्मीद नहीं है। वहीं, पशुपति पारस को 2-3 सीटें मिल सकती हैं।
वामपंथी दल भी ज़्यादा सीटें हासिल करना चाहते हैं। माना जाता है कि सीमांचल और ग्रामीण इलाकों में उनका अच्छा प्रभाव है। उन्होंने 2020 में अच्छा प्रदर्शन किया और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दो सीटें जीतीं।
क्या ओवैसी को महागठबंधन में शामिल किया जाएगा?
महागठबंधन में एआईएमआईएम शामिल नहीं होगी। यह लगभग तय है। राजद नेताओं का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की वजह से राज्य के दूसरे हिस्सों में गठबंधन को नुकसान हो सकता है। राजद के एक नेता ने कहा, "एआईएमआईएम सीमावर्ती इलाकों में तो मदद कर सकती है, लेकिन राज्य के बाकी हिस्सों में इससे नुकसान होगा। यही वजह थी कि लालू प्रसाद यादव ने 2020 में एसडीपीआई जैसे संगठनों को गठबंधन से दूर रखा था।" यानी राजद को लगता है कि एआईएमआईएम की वजह से उन्हें कहीं और वोट नहीं मिलेंगे।

