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Bihar Chunav 2025: चुनाव आयोग से मिले 11 दलों के प्रतिनिधि, बोले- मतदाता पुनरीक्षण के फैसले पर फिर से विचार करे आयोग

चुनाव आयोग से मिले 11 दलों के प्रतिनिधि, बोले- मतदाता पुनरीक्षण के फैसले पर फिर से विचार करे आयोग

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 11 दलों के प्रतिनिधियों ने बुधवार देर शाम चुनाव आयोग से मुलाकात की और मतदाता सुधार पर लिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। इस बैठक में कांग्रेस, राजद, भाकपा (माले), भाकपा और माकपा समेत 11 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। करीब तीन घंटे तक चली तीखी बहस के बाद वे चुनाव आयोग से बाहर चले गए। बैठक में भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेशराम, भाकपा के डी राजा, राजद के मनोज कुमार झा समेत अन्य शामिल हुए। प्रतिनिधिमंडल ने बैठक को लेकर आयोग द्वारा जारी नए प्रावधान की भी आलोचना की। कहा कि हमारे कई बड़े नेताओं को बाहर ही रखा गया, उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। क्या बोले मनोज झा? चुनाव आयोग से मिलने के बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, "हम सभी ने बिहार की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया है। मैंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का एक पत्र उन्हें सौंपा है। इन लोगों को बाहर करने की साजिश है। अगर किसी भी अभ्यास का उद्देश्य शामिल करने के बजाय बाहर करना है, तो हम क्या कह सकते हैं? जब हमने पूछा कि 22 साल में जो अभ्यास (विशेष गहन शोध) नहीं हुआ, वह अब क्यों किया जा रहा है, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था? अधिकांश लोगों के पास अपनी योग्यता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं।" सीपीआई सांसद ने क्या कहा? सीपीआई सांसद डी राजा ने चुनाव आयोग से मिलने के बाद कहा, "हम बिहार चुनाव कराने में आने वाली समस्याओं पर चर्चा करने के लिए वहां गए थे, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) शुरू की गई है। हमने चुनाव आयोग से एसआईआर को स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि बिहार में बाढ़, भारी बारिश की संभावना है। ऐसी स्थिति में, यह कम समय में नहीं किया जा सकता है, इसलिए एसआईआर को स्थगित किया जाना चाहिए लेकिन चुनाव आयोग ने हमारे अनुरोधों पर सहमति नहीं जताई।" कांग्रेस नेता ने क्या कहा? कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमारे 11 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से तीन घंटे तक मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में 11 दलों के 20 लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने सबसे पहला मुद्दा यह उठाया कि 2003 से लेकर अब तक 22 साल बीत चुके हैं, बिहार में चार से पांच चुनाव हो चुके हैं। क्या वे सभी चुनाव गलत थे, क्या वे नियमों के मुताबिक नहीं थे?

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