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Bihar Election 2025:  कौन हैं मंगनी लाल मंडल? जिन्होंने राजद अध्यक्ष पद के लिए भरा नामांकन, जानें लालू ने क्यों खेला यह दांव

कौन हैं मंगनी लाल मंडल? जिन्होंने राजद अध्यक्ष पद के लिए भरा नामांकन, जानें लालू ने क्यों खेला यह दांव

बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल में बड़ा बदलाव हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष (RJD New President) मिलने जा रहा है, इसके लिए मंगनी लाल मंडल ने शनिवार को अपना नामांकन दाखिल किया. इस मौके पर लालू प्रसाद यादव भी मौजूद थे. मंगनी लाल मंडल का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है, क्योंकि किसी और ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया. 19 जून को इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी. मंगनी लाल मंडल के नामांकन दाखिल करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि आज नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. बहुत खुशी की बात है कि आज हम लोग भी प्रस्तावक बने हैं. मंगनी लाल मंडल को मनोनीत किया गया है. 'आरजेडी जनता की बात करती है' तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी जनता की बात करती है. गरीबों की बात करती है, सबको साथ लेकर चलती है. हम सब मिलकर बिहार को आगे ले जाएंगे और नया बिहार बनाएंगे. मंगनी लाल मंडल का राजनीतिक सफर मंगनी लाल मंडल बिहार की राजनीति में एक अनुभवी चेहरा हैं. उनका जन्म 1949 में मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के गोरेगाम में हुआ था। छात्र जीवन में समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर से प्रभावित होकर वे राजनीति में आए। मंडल 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे और इस दौरान लालू यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। इसके अलावा वे 2004 से 2009 तक राज्यसभा सांसद और 2009 से 2014 तक लोकसभा सांसद रहे। मंडल के राजनीतिक सफर में अहम मोड़ 2019 में आया, जब वे राजद छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल हो गए। हालांकि, 2024 में जदयू से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर वे 6 जनवरी 2025 को फिर से राजद में लौट आए।

लालू ने मंडल के नाम पर क्यों खेला दांव

मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना लालू और तेजस्वी यादव की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। मंडल अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से आते हैं। बिहार में ईबीसी एक अहम वोट बैंक है। लालू यादव का यह फैसला ईबीसी वोटरों को लुभाने और उत्तर बिहार, खासकर मिथिला क्षेत्र में आरजेडी की खोई जमीन वापस पाने की कोशिश है। मिथिला में मंडल का प्रभाव और उनकी मृदुभाषी छवि पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

जगदानंद सिंह को क्यों बदला जाए?

राजपूत समुदाय के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह लंबे समय से पार्टी की गतिविधियों से दूर थे। उनकी निष्क्रियता और तेजस्वी यादव के नेतृत्व के साथ कुछ मतभेदों ने पार्टी में बदलाव की जरूरत बढ़ा दी थी। मंडल का चयन सिर्फ जातिगत समीकरणों को संतुलित करने के लिए नहीं है, बल्कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद आत्ममंथन का नतीजा भी है।

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