Bihar Election 2025: कैसे चिराग अपने पिता रामविलास से अलग राह बना रहे, कैसे लोजपा की राजनीति में आया 180 डिग्री का बदलाव

बिहार की राजनीति में तीखे मोड़ आ गए हैं। राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकना शुरू कर दिया है। आराम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय सुप्रीमो चिराग पासवान ने नव संकल्प सभा को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ही उनका परिवार है। बिहार की जनता जहां से भी मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहेगी, मैं वहां से चुनाव लड़ूंगा। चिराग का यह कदम उनके पिता की राजनीति के बिल्कुल विपरीत है।
केंद्रीय राजनीति में सक्रिय थे रामविलास
रामविलास पासवान भारतीय राजनीति में बड़ा नाम थे। उन्हें मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था। राजनीतिक हवा का रुख समझकर वह कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस से हाथ मिला लेते थे। उन्होंने अपना पूरा समय केंद्रीय राजनीति में बिताया लेकिन चिराग ने अपने पिता की राह छोड़कर नई राह पर चलने का मन बना लिया है। चिराग अपने पिता की गलतियों को दोहराना नहीं चाहते। उन्होंने खुद को केंद्रीय राजनीति तक सीमित रखने की बजाय बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने का फैसला किया है। रामविलास ने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया
लोजपा प्रमुख रामविलास 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। 1989 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वे वीपी सिंह की कैबिनेट में शामिल हुए। उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकारों में वे रेल मंत्री बने। फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे संचार मंत्री और कोयला मंत्री बने। इसके बाद वे मनमोहन सिंह की सरकार में शामिल हुए। 2014 में वे एक बार फिर भाजपा के साथ जुड़ गए। मोदी कैबिनेट में उन्होंने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
1969 में शुरू हुआ रामविलास का राजनीतिक सफर
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ। वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के विधायक के तौर पर आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से चुने गए। आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से रिकॉर्ड 4 लाख वोटों से जीत दर्ज की।