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Bihar Election 2025: महागठबंधन में शामिल हो सकती है ये बड़ी पार्टी, क्या तेजस्वी यादव देंगे ग्रीन सिग्नल

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने रणनीति तय कर ली है। यहां सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा। पार्टी ने हर विधानसभा सीट पर सर्वे कराया है। अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। इस बार बिहार चुनाव में टिकट देने का आधार व्यक्तित्व नहीं, बल्कि जीतने की क्षमता होगी। जिसका नाम सर्वे में नहीं आएगा, उसका टिकट कटेगा, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो। लगातार दो सर्वे में खराब प्रदर्शन करने वाले विधायकों का टिकट कटना लगभग तय है। चुनाव में अभी पांच महीने बाकी हैं, लेकिन भाजपा ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। ब्लॉक स्तर पर बैठकें हो रही हैं, हर सीट की मजबूती और कमजोरी का आकलन किया जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है। उसी के अनुसार सीट दर सीट रणनीति बनाई जाएगी। दिल्ली में भाजपा के लिए यह रणनीति कारगर रही अपने और विपक्षी दलों के संभावित बागियों की भी पहचान की जा रही है। भाजपा ने किसी भी कीमत पर बिहार चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है। बिहार में जीत इसलिए भी जरूरी है क्योंकि महाराष्ट्र की तरह बिहार भी विपक्षी गठबंधन की मुख्य धुरी है। साथ ही बिहार चुनाव के नतीजों का असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। एनडीए के लिए प्रतिकूल परिणाम विपक्षी एकता को मजबूत कर सकता है। भाजपा बिहार से बाहर रहने वाले बिहारियों तक पहुंचेगी। ऐसे दो करोड़ लोगों तक पहुंचने की योजना है। ये वे लोग हैं जो या तो बिहार के मतदाता हैं और बाहर रहते हैं या फिर बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। अगले महीने भाजपा प्रवासी बिहारियों तक पहुंचने का अभियान शुरू करेगी। इस रणनीति ने दिल्ली के चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलाई।

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने रणनीति तय कर ली है। यहां सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा। पार्टी ने हर विधानसभा सीट पर सर्वे कराया है। अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। इस बार बिहार चुनाव में टिकट देने का आधार व्यक्तित्व नहीं, बल्कि जीतने की क्षमता होगी। जिसका नाम सर्वे में नहीं आएगा, उसका टिकट कटेगा, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो। लगातार दो सर्वे में खराब प्रदर्शन करने वाले विधायकों का टिकट कटना लगभग तय है। चुनाव में अभी पांच महीने बाकी हैं, लेकिन भाजपा ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। ब्लॉक स्तर पर बैठकें हो रही हैं, हर सीट की मजबूती और कमजोरी का आकलन किया जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है। उसी के अनुसार सीट दर सीट रणनीति बनाई जाएगी। दिल्ली में भाजपा के लिए यह रणनीति कारगर रही अपने और विपक्षी दलों के संभावित बागियों की भी पहचान की जा रही है। भाजपा ने किसी भी कीमत पर बिहार चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है। बिहार में जीत इसलिए भी जरूरी है क्योंकि महाराष्ट्र की तरह बिहार भी विपक्षी गठबंधन की मुख्य धुरी है। साथ ही बिहार चुनाव के नतीजों का असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। एनडीए के लिए प्रतिकूल परिणाम विपक्षी एकता को मजबूत कर सकता है। भाजपा बिहार से बाहर रहने वाले बिहारियों तक पहुंचेगी। ऐसे दो करोड़ लोगों तक पहुंचने की योजना है। ये वे लोग हैं जो या तो बिहार के मतदाता हैं और बाहर रहते हैं या फिर बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। अगले महीने भाजपा प्रवासी बिहारियों तक पहुंचने का अभियान शुरू करेगी। इस रणनीति ने दिल्ली के चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलाई।

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