Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में खाता खोल पाएगी बसपा, आकाश आनंद ने सजाने शुरू किए मोहरे, सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी

मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बिहार चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मायावती के भतीजे आकाश आनंद के लिए बिहार सबसे बड़ी चुनौती है। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। काफी उठापटक के बाद आकाश पार्टी में वापस लौटे हैं। पिछले दिनों मायावती उनसे काफी नाराज थीं। आकाश आनंद के ससुर और पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ अभी भी पार्टी से बाहर हैं। मायावती ने अभी तक अपने भतीजे आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बनाया है। मायावती का भरोसा जीतने के लिए आकाश को बिहार जीतना होगा। अगर बिहार में बीएसपी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो आकाश के लिए राह और मुश्किल हो सकती है।
मायावती पार्टी छोड़कर गए नेताओं को वापस लाने में जुटी हैं
इन दिनों बीएसपी के खाते में सिर्फ घाटा ही घाटा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला है। अपने सबसे मजबूत गढ़ यूपी में बीएसपी के पास सिर्फ एक विधायक है। इसलिए मायावती पार्टी छोड़कर गए नेताओं को वापस लाने में जुटी हैं। मायावती ने बिहार की जिम्मेदारी आकाश आनंद को दी है।
आकाश आनंद ने पटना में रोड शो किया
उनके साथ राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को भी जिम्मेदारी दी गई है। गुरुवार को दोनों एक साथ पटना पहुंचे। आकाश ने रोड शो किया। रोड शो के बहाने उन्होंने पटना की सड़कों पर अपनी ताकत दिखाई।
पटना में बीएसपी की बैठक में शामिल लोग।
पटना में बीएसपी की बैठक में शामिल लोग।
बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
बीएसपी सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अब इतने उम्मीदवारों को संगठित करना भी मुश्किल काम है। क्योंकि बिहार में बीएसपी के टिकट पर जीत की कोई गारंटी नहीं है। इसलिए आकाश आनंद की पहली प्राथमिकता उम्मीदवारों का चयन करना है। बिहार में बीएसपी की स्थिति भी काफी कमजोर हो गई है।
एक समय यूपी से सटे इलाकों में बीएसपी का अच्छा प्रभाव था
एक समय यूपी से सटे इलाकों में पार्टी का अच्छा प्रभाव था। साल 2000 बीएसपी के लिए काफी शुभ साल रहा। पार्टी के 5 विधायक चुने गए। फिर फरवरी 2005 के चुनाव में बीएसपी को दो सीटें मिलीं। उसी साल नवंबर में जब दोबारा चुनाव हुए तो चार विधायक चुने गए। फिर 2009 के उपचुनाव में पार्टी ने एक सीट जीती, लेकिन उसके बाद से पार्टी किसी भी चुनाव में अपना खाता नहीं खोल पाई।