
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में चुनाव आयोग जोर-शोर से जुटा है। 22 साल बाद राज्य में मतदाता सूची का व्यापक पुनरीक्षण किया जा रहा है। इसके लिए आयोग ने विस्तृत कैलेंडर भी जारी किया है। इससे संकेत मिलते हैं कि दिवाली और छठ पूजा के बाद विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
25 को मतदाता सर्वेक्षण का काम
चुनाव आयोग के तय कार्यक्रम के अनुसार सबसे पहले मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और सही करने का काम किया जा रहा है। 25 जून से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया अगले एक महीने तक जारी रहेगी। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं का सर्वेक्षण और सत्यापन करेंगे। इससे पहले 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान इतने बड़े पैमाने पर यह काम हुआ था।
चुनाव आयोग के तय कार्यक्रम के अनुसार बीएलओ 26 जुलाई तक सभी आवेदनों का सत्यापन और सूची में सुधार का काम पूरा कर लेंगे। संशोधित मतदाता सूची का प्रारूप एक अगस्त को तैयार किया जाएगा। नागरिक एक सितंबर 2025 तक तैयार प्रारूप सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। 30 सितंबर तक सभी आपत्तियों का निपटारा कर दिया जाएगा। उसी दिन अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी जाएगी।
अक्टूबर के पहले सप्ताह में लागू हो सकती है आदर्श आचार संहिता
जानकारी आ रही है कि अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के तुरंत बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है। इसके साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। इस साल दिवाली 21 अक्टूबर को है। छठ पर्व 25 से 28 तक मनाया जाएगा। ऐसे में उम्मीद है कि पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर के बाद होगा। चुनाव आयोग त्योहारों को ध्यान में रखते हुए तारीखें तय करेगा।
अगर 1 अक्टूबर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होती है तो चुनाव का पहला चरण 28 अक्टूबर के बाद होने की संभावना है। इस बार चुनाव दो से तीन चरणों में पूरा हो सकता है। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है। ऐसे में इससे पहले ही चुनाव नतीजे घोषित हो जाएंगे और नई सरकार बन जाएगी।