Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR पर सियासत गरमाई, अब BJP भी आई चिंता में
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज़ हो गई हैं। इसी क्रम में चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान चलाया जा रहा है, जिसका मकसद राज्य की वोटर लिस्ट को अपडेट करना है। लेकिन यह प्रक्रिया अब सियासी घमासान का केंद्र बन गई है।
अब तक जहां विपक्षी दल चुनाव आयोग पर पक्षपात और गड़बड़ी के आरोप लगाते रहे हैं, वहीं अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी इस प्रक्रिया को लेकर चिंतित नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेताओं को आशंका है कि कई क्षेत्रों में वोटरों के नाम या तो हटाए जा रहे हैं या अपडेट नहीं हो रहे, जिससे पार्टी के संभावित वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
विपक्ष के आरोप
राजद (RJD), कांग्रेस और वाम दलों ने पहले ही SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि:
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आयोग बिना उचित सत्यापन के नामों को हटाने का काम कर रहा है।
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एक ही व्यक्ति के नाम कई बार जोड़े जा रहे हैं, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना है।
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ग्रामीण इलाकों में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) लोगों तक सही समय पर नहीं पहुंच रहे।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था, “SIR के नाम पर आयोग वोटर लिस्ट से लाखों गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम काटने की साजिश कर रहा है।”
भाजपा की चिंता
भाजपा की चिंता कुछ अलग है। पार्टी को डर है कि आयोग द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान संगठन की जमीनी पकड़ वाले क्षेत्रों में गड़बड़ी का कारण बन सकता है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे में सामने आया है कि कुछ बूथों पर भाजपा समर्थकों के नाम ही लिस्ट से गायब पाए गए हैं।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “SIR की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। अगर मतदाता ही लिस्ट से गायब होंगे तो चुनाव में निष्पक्षता कैसे आएगी?”
आयोग की सफाई
वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि SIR पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया है। सभी दलों के प्रतिनिधियों को समय-समय पर जानकारी दी जा रही है और शिकायत मिलने पर त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। आयोग ने कहा है कि 1 अगस्त 2025 तक इस अभियान को पूरा कर लिया जाएगा।

