बिहार विधानसभा चुनाव 2025, BSP ने फूंका चुनावी बिगुल, आकाश आनंद ने किया 'सुशासन मॉडल' का वादा

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। इस कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी गुरुवार को पटना में चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए रणनीतिक तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में BSP के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और साफ कर दिया कि पार्टी बिहार में भी अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी।
मायावती का 'सुशासन मॉडल' लाने का वादा
कार्यक्रम के दौरान आकाश आनंद ने मंच से स्पष्ट संदेश दिया कि बिहार को अब बदलाव की जरूरत है और वह बदलाव मायावती के सुशासन मॉडल से ही संभव है। उन्होंने कहा,
"उत्तर प्रदेश में जब बहनजी (मायावती) की सरकार थी, तब कानून का राज था, विकास का रास्ता था और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण था। बिहार में भी अब वही मॉडल लागू करने की जरूरत है।"
उन्होंने बिहार की मौजूदा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में जातिगत राजनीति, अपराध और बेरोजगारी का बोलबाला है, और BSP इसे खत्म कर एक बेहतर विकल्प देने को तैयार है।
दलितों-पिछड़ों को जोड़ने की रणनीति
BSP इस बार बिहार में दलित, महादलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को अपना कोर वोटबैंक बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। आकाश आनंद ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज के सिद्धांतों पर चलकर BSP सामाजिक न्याय की उस लड़ाई को आगे बढ़ाएगी, जिसे कांशीराम और मायावती ने शुरू किया था।
उन्होंने अपने संबोधन में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, कांशीराम और शाहूजी महाराज के योगदान को याद करते हुए कहा कि BSP सत्ता में आकर शिक्षा, स्वास्थ्य और आरक्षण के मुद्दों को लेकर ठोस काम करेगी।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों का ऐलान
BSP ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी या गठबंधन में – इस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा, लेकिन तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू कर दी गई हैं। पार्टी की ओर से जिलों में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया जा रहा है और बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की योजना पर काम हो रहा है।
सियासी संदेश साफ
आकाश आनंद की इस रैली को BSP के लिए न सिर्फ चुनावी आगाज के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि यह भी स्पष्ट संकेत है कि पार्टी अब बिहार की राजनीति में तीसरे मोर्चे की भूमिका निभाने की तैयारी में है। मायावती के नेतृत्व में BSP ने पहले भी बिहार में किस्मत आजमाई है, लेकिन इस बार संगठनात्मक रूप से ज्यादा आक्रामक रणनीति अपनाने के संकेत मिल रहे हैं।