बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा का बड़ा अभियान, 200 सीटों पर असर डालेंगी पीएम मोदी की रैलियां

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी प्रमुख दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा दांव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने खेलने का निर्णय लिया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी मैदान में उतारने की व्यापक तैयारी कर ली है। आने वाले ढाई महीनों में पीएम मोदी की नौ विशाल रैलियों का आयोजन प्रस्तावित है, जिनका असर करीब 200 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा।
भाजपा का मेगा प्लान: मोदी के नेतृत्व में चुनावी अभियान
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, अब तक प्रधानमंत्री मोदी बिहार में छह रैलियां कर चुके हैं। इन रैलियों से पार्टी को ज़मीनी स्तर पर काफी ऊर्जा मिली है और कार्यकर्ताओं में नया उत्साह देखा गया है। पार्टी अब अगले ढाई महीनों में सात और रैलियों की योजना पर काम कर रही है। इन रैलियों की तारीख और स्थान को लेकर फिलहाल आंतरिक विचार-विमर्श चल रहा है और उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते के भीतर इसका आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा।
200 सीटों पर सीधा असर
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री की कुल नौ रैलियों से बिहार की 243 में से करीब 200 सीटों पर प्रभाव डाला जा सकेगा। अब तक की रैलियों में रोहतास और सारण क्षेत्र को कवर किया गया है, जहां मोदी पहले ही दो बार जनसभा कर चुके हैं। बाकी सात रैलियां राज्य के उत्तर और दक्षिण बिहार, सीमांचल, मगध और मिथिलांचल क्षेत्रों को कवर करेंगी ताकि भाजपा का संदेश पूरे राज्य में पहुंच सके।
सितंबर तक अभियान पूरा करने की तैयारी
जानकारी के अनुसार, यह संपूर्ण प्रचार अभियान सितंबर 2025 तक पूरा किया जाएगा, क्योंकि उसी दौरान चुनाव आयोग द्वारा बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा की उम्मीद है। इससे पहले ही भाजपा राज्य में अपने संगठनात्मक ढांचे को पूरी तरह से सक्रिय कर देना चाहती है।
फिलहाल राज्य भर में भाजपा के कार्यकर्ता डोर-टू-डोर अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत:
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नए वोटर्स की पहचान
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उन्हें वोटर लिस्ट में पंजीकृत करने की प्रक्रिया
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बूथ स्तर पर मतदाता संपर्क
जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
अमित शाह की भी एंट्री संभव
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भी बिहार में सक्रिय भूमिका तय मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, वे भी राज्य में तीन से चार बड़ी रैलियों को संबोधित कर सकते हैं। अमित शाह का संगठनात्मक पकड़ और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं से संवाद की उनकी शैली भाजपा को जमीनी मजबूती देने में मदद करती है। उनके दौरे के साथ ही पार्टी नेतृत्व का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े इलाकों में वोटरों को जोड़ने पर रहेगा।
संगठनात्मक तैयारी और रणनीति
भाजपा का चुनावी अभियान सिर्फ रैलियों तक सीमित नहीं है। इसके तहत:
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मीडिया और सोशल मीडिया अभियानों की शुरुआत की जा रही है
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मोबाइल प्रचार रथ, वीडियो वैन, और व्हाट्सएप आधारित प्रचार सामग्री
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जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का चयन
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युवा, महिला, किसान जैसे वर्गों के लिए अलग-अलग संवाद कार्यक्रम
जैसे रणनीतिक उपकरण भी अपनाए जा रहे हैं।
विपक्ष पर नजर और मुकाबले की तैयारी
भाजपा इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिसमें जेडीयू, हम पार्टी और रालोसपा जैसे सहयोगी दल शामिल हैं। पार्टी की योजना महागठबंधन, विशेषकर आरजेडी और कांग्रेस के खिलाफ विकास, कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जोर देने की है।