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बिहार के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने वीआरएस की खबरों को बताया बेबुनियाद, कहा- नहीं दिया कोई आवेदन

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले ही दिन NDA में दरार के संकेत, विजय सिन्हा और अशोक चौधरी में तीखी नोकझोंक

बिहार की सियासत में एक बार फिर गर्मी आ गई है। विधानमंडल के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले NDA विधायक दल की बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी के बीच हुई तीखी बहस ने सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर के मतभेदों को सतह पर ला दिया है।

विवाद की जड़:

पूरा मामला ग्रामीण कार्य विभाग के एक उद्घाटन समारोह से जुड़ा है, जिसमें स्थानीय विधायक को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस पर विजय सिन्हा ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा:

“गठबंधन धर्म निभाना सभी सहयोगियों की जिम्मेदारी है, सिर्फ बीजेपी की नहीं।”

चुप रहे नीतीश और सम्राट:

इस नोकझोंक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुपचाप बैठे रहे। दोनों ने विवाद में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, जिससे यह संदेश गया कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

क्या बढ़ेगी दरार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक कार्यक्रम को लेकर उपजा विवाद नहीं है, बल्कि यह आंतरिक असहमति और विश्वास की कमी को दर्शाता है। अगर इसे जल्द नहीं सुलझाया गया, तो एनडीए में खटास और गहराने की आशंका है।

इस बहसबाज़ी ने मानसून सत्र की शुरुआत से पहले ही राज्य की राजनीति में सियासी उबाल ला दिया है, जिसे लेकर विपक्ष को भी हमलावर होने का मौका मिल सकता है।

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