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सुकमा से बड़ी कामयाबी: कलेक्टर अपहरण कांड में शामिल समेत 23 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, 8 इनामी माओवादी भी शामिल

सुकमा से बड़ी कामयाबी: कलेक्टर अपहरण कांड में शामिल समेत 23 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, 8 इनामी माओवादी भी शामिल

नक्सलवाद से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से शनिवार को बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आई है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति और पुनर्वास नीतियों के चलते 23 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन अपहरण कांड में शामिल एक कुख्यात नक्सली भी शामिल है, जो सुरक्षाबलों के लिए लंबे समय से चुनौती बना हुआ था।

8 हार्डकोर इनामी नक्सली भी शामिल

सुरक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की है कि सरेंडर करने वालों में से 8 हार्डकोर माओवादी ऐसे हैं जिन पर सरकार द्वारा इनाम घोषित था। इन पर पुलिस और सीआरपीएफ को निशाना बनाने, ग्रामीणों में डर फैलाने और सरकारी परियोजनाओं में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप हैं। इन इनामी नक्सलियों की सक्रियता बस्तर क्षेत्र में लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई थी।

एलेक्स पाल मेनन अपहरण कांड से जुड़ा नक्सली भी सरेंडर में शामिल

2012 में कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का अपहरण, नक्सली हिंसा की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और सरकार को गहन बातचीत के लिए मजबूर कर दिया था। अब उसी घटना में शामिल एक नक्सली का आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

आत्मसमर्पण का कार्यक्रम पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में

सभी 23 नक्सलियों ने सुकमा जिले के एक विशेष कार्यक्रम में पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया। कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सहायता और सुरक्षा का आश्वासन भी दिया गया।

सुकमा एसपी ने बताया कि "नक्सलियों के आत्मसमर्पण का यह सिलसिला यह साबित करता है कि हमारी रणनीति सही दिशा में जा रही है। अब नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास और शांति की ओर लौटना चाहते हैं।"

आत्मसमर्पण करने वालों को मिलेगा पुनर्वास पैकेज

राज्य सरकार की नीतियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास पैकेज, वित्तीय सहायता, आवास, और रोजगार जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। साथ ही, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें गोपनीय स्थानों पर रखा जाएगा, ताकि किसी प्रकार की प्रतिशोध की आशंका न रहे।

क्यों मायने रखता है यह आत्मसमर्पण?

बस्तर संभाग, खासकर सुकमा जिला, लंबे समय से नक्सली आतंक का केंद्र रहा है। यहां से हार्डकोर माओवादियों का आत्मसमर्पण यह दिखाता है कि सरकार की नीति, सुरक्षाबलों की रणनीति और सामाजिक विश्वास की प्रक्रिया मिलकर असर दिखा रही हैं।

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