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LJP (रामविलास) को बड़ा झटका, तीन दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ी, कांग्रेस में हुए शामिल

LJP (रामविलास) को बड़ा झटका, तीन दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ी, कांग्रेस में हुए शामिल

बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब पार्टी के तीन बड़े नेताओं ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया। पार्टी छोड़ने वालों में शामिल हैं – पूर्व विधायक और राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अच्युतानंद, महासचिव नवल किशोर सिंह, और वरिष्ठ नेता अमरेंद्र कुमार चौधरी।

इन तीनों नेताओं के साथ उनके सैकड़ों समर्थक भी कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे राजनीतिक रूप से यह घटनाक्रम और भी अहम हो गया है। यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया गया है, जब बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और सभी दल अपने संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं।

कांग्रेस में दिखा जोश, वरिष्ठ नेताओं ने किया स्वागत

पटना स्थित कांग्रेस कार्यालय में आयोजित समारोह में तीनों नेताओं का औपचारिक स्वागत किया गया। इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह, और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें पार्टी का झंडा थमाकर स्वागत किया। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे पार्टी के लिए "संगठनात्मक मजबूती" का संकेत बताया और दावा किया कि आने वाले दिनों में और कई नेता उनकी पार्टी में शामिल होंगे।

क्यों छोड़ी LJP (रामविलास)?

डॉ. अच्युतानंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी अब अपने संस्थापक रामविलास पासवान के सिद्धांतों से भटक गई है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा:

"अब पार्टी में जमीनी कार्यकर्ता की कोई सुनवाई नहीं होती। फैसले चंद लोगों के इशारे पर होते हैं और संगठन खत्म होता जा रहा है। ऐसे में हमारे पास कांग्रेस में लौटना ही विकल्प था।"

नवल किशोर सिंह और अमरेंद्र कुमार चौधरी ने भी कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसा मंच है, जहां समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व और सम्मान मिलता है।

एलजेपी (रामविलास) में मचा हड़कंप

तीनों नेताओं के पार्टी छोड़ने से LJP (रामविलास) में बड़ा झटका महसूस किया जा रहा है। हालांकि, पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व इस घटनाक्रम से असहज है और नुकसान की भरपाई की रणनीति बनाने में जुट गया है।

आने वाले चुनावों पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना सिर्फ नेताओं के पार्टी बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे एनडीए के भीतर असंतोष और कांग्रेस की संभावित मजबूती का संकेत भी मिलता है। खासकर तब, जब महागठबंधन और INDIA गठबंधन अपने कुनबे को मजबूत करने की कवायद में हैं।

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