बेतिया शिक्षा विभाग की बड़ी चूक, सरकारी शिक्षकों का तबादला निजी स्कूल में, जिले में मचा हड़कंप

बिहार के बेतिया जिले से शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मंगलवार को चनपटिया अंचल के चूहड़ी बाजार स्थित एक निजी विद्यालय - लोयला मिडिल स्कूल में सरकारी शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। जब स्थानांतरित शिक्षक विद्यालय में ज्वाइनिंग के लिए पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि यह तो कोई सरकारी नहीं बल्कि एक निजी स्कूल है। इस घटना से शिक्षकों में confusion और आक्रोश, और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
📌 कैसे हुआ खुलासा?
शिक्षकों को स्थानांतरण आदेश प्राप्त हुआ, जिसमें स्कूल का नाम और स्थान स्पष्ट था। जब वे नियत दिन विद्यालय में योगदान देने पहुंचे, तो उन्हें स्कूल प्रशासन ने बताया कि यह एक निजी संस्थान है और सरकार से कोई संबंध नहीं है।
शिक्षकों ने तुरंत जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) से संपर्क किया और तब पूरे मामले की पोल खुल गई।
🏫 लोयला मिडिल स्कूल की स्थिति
जानकारी के अनुसार, लोयला मिडिल स्कूल एक प्राइवेट विद्यालय है जो वर्षों से चनपटिया के चूहड़ी बाजार में संचालित हो रहा है। इसका किसी भी प्रकार का सरकारी मान्यता या फंडिंग से लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की प्रणाली में इसे सरकारी विद्यालय मान लिया गया, जो विभागीय लापरवाही का जीवंत उदाहरण है।
🗣️ शिक्षकों और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
एक स्थानांतरित शिक्षक ने कहा,
"हमें पूरी उम्मीद थी कि हमें किसी सरकारी स्कूल में पोस्टिंग मिलेगी, लेकिन यहां आकर जो देखा, वह पूरी तरह चौंकाने वाला था।"
DEO कार्यालय की तरफ से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया है, जो इस त्रुटि की जांच करेगी।
⚠️ कई अन्य तबादलों पर भी शक
इस घटना के बाद अब अन्य तबादला आदेशों की भी समीक्षा की जा रही है। आशंका है कि ऐसी गलतियां अन्य मामलों में भी हुई हों। कई शिक्षक संघों ने इस लापरवाही के खिलाफ आक्रोश जताते हुए कार्रवाई की मांग की है।
🧾 प्रशासन की जवाबदेही तय होनी चाहिए
शिक्षा जैसे संवेदनशील और भविष्यनिर्माता विभाग में ऐसी लापरवाही गंभीर चिंता का विषय है।
अगर स्थानांतरण जैसी बुनियादी प्रक्रिया में ही इतनी भूल और सतर्कता की कमी है, तो यह ग्राम्य शिक्षा व्यवस्था पर सीधा असर डाल सकती है।