भागलपुर के वीर सपूत अंकित यादव जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद
बिहार के भागलपुर जिले के चापर गांव के वीर सपूत अंकित यादव जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए। उनकी शहादत की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई है। वहीं, उनके परिवार में गर्व और गहरे दुख का मिश्रित भाव देखने को मिला।
अंकित यादव ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देते हुए देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी बहादुरी और वीरता की चर्चा स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के बीच है। गांववासियों का कहना है कि अंकित की शहादत ने पूरे समुदाय को देशभक्ति और साहस की मिसाल दी है।
जानकारी के अनुसार, मुठभेड़ जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाके में आतंकवादियों की घेराबंदी के दौरान हुई। सेना ने आतंकवादियों की सक्रिय गतिविधियों के बारे में सूचना पाई थी और उसे खत्म करने के लिए ऑपरेशन चलाया गया। इसी दौरान अंकित यादव समेत सैनिकों ने आतंकियों का सामना किया। इस ऑपरेशन में अंकित यादव वीरगति को प्राप्त हुए।
शहीद अंकित यादव के परिवार में माता-पिता और भाई-बहन शामिल हैं। परिवार ने अपने बेटे के शहीद होने की खबर सुनते ही गहरी शोक और दर्द व्यक्त किया। वहीं, गांव के लोग अपने वीर सपूत की बहादुरी और साहस पर गर्व महसूस कर रहे हैं। उनके शहीद होने से पूरे इलाके में भावनात्मक माहौल है।
शहीद की शहादत को सम्मानित करने के लिए राज्य और केंद्रीय स्तर पर सभी आवश्यक सरकारी प्रक्रियाएं शुरू कर दी गई हैं। जिला प्रशासन ने परिवार को आर्थिक मदद और सम्मान देने की घोषणा की है। इसके अलावा, सेना की ओर से शहीद की स्मृति में सलामी और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि जवानों की शहादत देश के लिए सर्वोच्च बलिदान होती है। अंकित यादव जैसे वीर सपूतों की वीरता से देशवासियों में देशभक्ति और साहस की भावना मजबूत होती है। उनके साहसिक कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
भागलपुर जिले और चापर गांव के लोगों ने शहीद अंकित यादव की अंतिम यात्रा में भारी संख्या में शामिल होकर सम्मान व्यक्त किया। इस मौके पर गांववासियों ने अपने हाथों में फूल लेकर शहीद को अंतिम विदाई दी। शहीद के नाम पर स्थानीय स्कूल और सड़क परियोजनाओं का नामकरण करने की भी चर्चा हो रही है, ताकि उनकी स्मृति हमेशा जीवित रहे।
अंकित यादव की शहादत से एक बार फिर यह संदेश गया है कि देशभक्ति और साहस की कोई कीमत नहीं होती। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। गांव और परिवार के लिए यह समय दुख का है, लेकिन देश के लिए गर्व का पल है।

