भागलपुरी सिल्क को मिलेगी विशिष्ट पहचान, नकली उत्पादों पर लगेगा अंकुश
रेशमी नगरी के नाम से मशहूर भागलपुर शहर में तैयार होने वाले नफीस सिल्क कपड़ों को अब वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलने जा रही है। आए दिन ऑनलाइन बाजारों और अन्य खुदरा प्लेटफॉर्म पर "भागलपुरी सिल्क" के नाम पर नकली उत्पादों की बिक्री से न केवल स्थानीय बुनकरों को नुकसान होता है, बल्कि इस ऐतिहासिक और पारंपरिक कला की प्रतिष्ठा भी खतरे में पड़ती रही है। अब इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर एक बड़ी पहल शुरू की है।
भागलपुरी सिल्क को अब जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) के जरिए एक विशिष्ट पहचान दी जाएगी, जिससे इसकी नक़ल नहीं की जा सकेगी। यह कदम न केवल इसके वास्तविक उत्पादकों को सशक्त बनाएगा, बल्कि खरीदारों को भी प्रमाणिक उत्पाद प्राप्त करने में सहायता करेगा।
नकली सिल्क की बढ़ती चुनौती
भागलपुरी सिल्क देश और विदेशों में अपनी कोमलता, बारीकी और चमक के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता का दुरुपयोग कर कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर घटिया गुणवत्ता के कपड़े 'भागलपुरी सिल्क' के नाम पर बेचे जा रहे हैं। इससे असली बुनकरों की आय पर असर पड़ा है और ग्राहकों को भ्रमित भी किया जा रहा है।
जीआई टैग से मिलेगा कानूनी संरक्षण
इस नई पहल के तहत भागलपुरी सिल्क को जीआई टैग मिलने के बाद किसी भी उत्पादक या विक्रेता को बिना अनुमति इस नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। इससे असली और नकली उत्पादों के बीच स्पष्ट अंतर किया जा सकेगा।
बुनकरों को मिलेगा सीधा लाभ
इस पहल से सबसे ज्यादा लाभ भागलपुर के हजारों पारंपरिक बुनकरों को होगा, जो पीढ़ियों से इस कला में लगे हैं। जीआई टैग मिलने के बाद उनके उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी होगी, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और शिल्प को संरक्षण मिलेगा।
सरकार का सहयोग और प्रशिक्षण
स्थानीय प्रशासन, उद्योग विभाग और हैंडलूम बोर्ड ने संयुक्त रूप से बुनकरों को इस प्रक्रिया के बारे में जागरूक करना शुरू कर दिया है। उन्हें बताया जा रहा है कि वे कैसे अपने उत्पादों को पंजीकृत करवा सकते हैं और कैसे गुणवत्ता बनाए रखकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सकते हैं।
उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
यह योजना उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि अब वे भागलपुरी सिल्क का वास्तविक और प्रमाणित उत्पाद खरीद सकेंगे। साथ ही, नकली उत्पादों से ठगे जाने की संभावना भी कम होगी।

