बिहार में नवविवाहित जोड़ों के बीच विवाह पंजीकरण को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। राज्य सरकार के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत इस साल जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच राज्यभर में कुल 869 शादियां संपन्न हुईं, लेकिन इस दौरान 2,821 जोड़ों ने विवाह का पंजीकरण करवाया। यह संख्या यह दर्शाती है कि लोग अब शादी को कानूनी रूप से मान्यता देने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
राज्य में विवाह के पंजीकरण को लेकर अब लोग ज्यादा सजग हो गए हैं। सरकार की ओर से चलाए गए जागरूकता अभियानों, सामाजिक संगठनों की भागीदारी और डिजिटल सुविधा के विस्तार ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। अब लोग विवाह के तुरंत बाद उसे निबंधित कराने के लिए निबंधन कार्यालय पहुंच रहे हैं।
पटना जिला इस मामले में सबसे अग्रणी रहा है। जनवरी 2023 से अप्रैल 2025 तक पटना जिले में कुल 4,138 विवाह संपन्न हुए, जबकि 4,439 विवाहों का पंजीकरण किया गया। यानी पंजीकृत विवाहों की संख्या संपन्न विवाहों से भी अधिक रही, जो इस बात का संकेत है कि कई जोड़ों ने पूर्व में हुए विवाहों को भी अब जाकर कानूनी मान्यता दिलाई है।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अंतर्गत विवाह रजिस्ट्रेशन कराना सिर्फ एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि महिला अधिकारों की रक्षा, संपत्ति संबंधी दावों, वीजा या पासपोर्ट प्रक्रिया सहित कई महत्वपूर्ण पहलुओं में सहायक होता है। शादी के कानूनी दस्तावेज के तौर पर विवाह प्रमाण पत्र का महत्व अब आम लोगों को समझ आने लगा है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब यह बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां लोग शादी रजिस्ट्रेशन को जरूरी नहीं समझते थे, वहीं अब पंचायत स्तर पर भी इसके लिए पहल की जा रही है। ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली ने भी लोगों को सुविधा दी है, जिससे वे अब घर बैठे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
सरकार का मानना है कि आने वाले समय में विवाह पंजीकरण की संख्या और बढ़ेगी। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, कैंप और जनजागरूकता अभियान भी तेज किए जा रहे हैं। साथ ही, विवाह पंजीकरण में होने वाली तकनीकी दिक्कतों को भी दूर करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

