बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का पहला चरण खत्म होने को, विधानसभा में हंगामा और विवाद जारी
बिहार में चुनावी प्रक्रिया के लिए अहम मानी जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के पहले फेज की गणना फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है। इस कदम को लेकर विधानसभा में गुरुवार, 24 जुलाई को जोरदार हंगामा हुआ, जिसमें विपक्ष ने SIR प्रक्रिया को वापस लेने की मांग भी की।
विपक्ष के सदस्यों ने विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर तीखी नोक-झोंक की और सरकार की नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि इस विशेष पुनरीक्षण के कारण कई मतदाता प्रभावित हो सकते हैं और इससे चुनाव प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। इसके चलते सदन में तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
वहीं, सरकार की ओर से चुनाव मंत्री विजय चौधरी ने विपक्ष को तथ्यों के साथ पूरी जानकारी दी। मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को और अधिक सटीक बनाने के लिए जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि छूट गए मतदाताओं के नाम जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त महीने का समय दिया जाएगा, जिससे किसी भी मतदाता का नाम छूट न जाए।
विजय चौधरी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर योग्य मतदाता को मतदान का अधिकार मिले और कोई भी नाम मतदाता सूची से बाहर न रहे। इसलिए यह विशेष पुनरीक्षण आवश्यक है और इसे जल्द से जल्द पूरा करना भी जरूरी है।”
सरकार की इस व्याख्या के बाद भी विपक्ष के कुछ सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की मांग की।
विशेष गहन पुनरीक्षण का मकसद यह है कि मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट किया जाए और फर्जी मतदाताओं, मृतकों तथा बाहर हो चुके लोगों को मतदाता सूची से हटाया जाए। यह प्रक्रिया चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।
साथ ही, मतदाता सूची में शामिल नामों की पुनः जांच और संशोधन के कारण चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
हालांकि, विपक्ष की चिंताएं भी जायज हैं कि कहीं इस प्रक्रिया के कारण असली मतदाता सूची से बाहर न हो जाएं। इसीलिए सरकार ने छूटे हुए मतदाताओं के नामों को शामिल करने के लिए एक अतिरिक्त अवधि देने का प्रावधान किया है।
इस विवाद के बीच बिहार विधानसभा में इस मुद्दे पर राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है और आगामी दिनों में भी यह बहस जारी रहने की संभावना है।
अंततः यह देखा जाना है कि बिहार चुनाव में इस विशेष गहन पुनरीक्षण का कितना प्रभाव पड़ेगा और किस तरह से मतदाता सूची का अंतिम रूप तैयार होगा। चुनाव आयोग और सरकार की यह कोशिश चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

