सेना ने आतंकियों से लिया बदला, पहलगाम में मारे गए 26 लोगों के परिवारों ने कही ये बात

भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों के परिवारों को शांति और सांत्वना मिल गई है। देर रात भारतीय सेना के पीओके में हवाई हमले से भारी तबाही मची। इस हमले में कई आतंकवादी ठिकाने नष्ट हो गए हैं। आतंकवादी मसूद अजहर के परिवार सहित 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। इस कार्रवाई से पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों के गांवों और कस्बों में जश्न का माहौल है।
पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों में दो विदेशी भी शामिल थे। उनमें से एक संयुक्त अरब अमीरात से था और दूसरा नेपाल से था। आतंकवादियों ने सभी लोगों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी। मृतकों में इंदौर, मुंबई, हरियाणा, उत्तराखंड, कोलकाता, नेपाल, कानपुर, बिहार, बेंगलुरु, पुणे, भावनगर और अन्य स्थानों के पर्यटक शामिल हैं। आइए जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी हमले में मारे गए लोगों की क्या है हालत...
आईबी अधिकारी के गांव में जश्न
पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद बिहार के रोहतास जिले के आरुही गांव में उत्सव का माहौल है। आरूही वह गांव है जहां आईबी अधिकारी मनीष रंजन रहते थे। जिनकी 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मंगलवार देर रात भारतीय सेना की ओर से की गई कार्रवाई के बाद आईबी अधिकारी मनीष रंजन के भाई शशि मिश्रा ने खुशी जाहिर की है।
उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है और इसे खत्म करने के लिए लगातार ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए। शहीद मनीष रंजन के चाचा दीपक कुमार मिश्रा ने कहा, "जिस तरह आतंकवादियों ने हमारी बहन-बेटियों के सिंदूर को नष्ट किया है, उसी तरह हमारे जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर सिंदूर का बदला लिया है।"
शुभम द्विवेदी के बलिदान का बदला
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से कानपुर में शुभम द्विवेदी के घर पर जश्न का माहौल है। शुभम के चाचा ने सेना की कार्रवाई को अपने भतीजे के बलिदान का बदला बताया है। उन्होंने कहा, "हमारी सेना ने आतंकवादियों को खत्म करने के लिए अभियान शुरू किया है। उनके पूरे परिवार को मानसिक शांति मिली है।" उन्होंने कहा कि जब शुभम की पत्नी को सेना की कार्रवाई के बारे में पता चला तो उनकी आंखों से दुख के आंसू बहने की जगह अब उनके चेहरे पर शांति और सुकून था।