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आनंद मोहन का तेजस्वी यादव पर निशाना: "लालू यादव के कार्यकाल में कितनों को मिली सरकारी नौकरी, पहले इसका हिसाब दें"

आनंद मोहन का तेजस्वी यादव पर निशाना: "लालू यादव के कार्यकाल में कितनों को मिली सरकारी नौकरी, पहले इसका हिसाब दें"

बिहार की सियासत में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है। इस बार पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन ने राजद नेता तेजस्वी यादव को सीधा निशाने पर लिया है। आनंद मोहन ने तेजस्वी से उनके पिता लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में दी गई सरकारी नौकरियों का आंकड़ा सार्वजनिक करने की मांग की है।

"तेजस्वी दूसरों पर सवाल उठाने से पहले अपने घर झांकें" – आनंद मोहन

मीडिया से बातचीत करते हुए आनंद मोहन ने कहा,
"तेजस्वी यादव आजकल नीतीश सरकार और एनडीए पर रोज़ सवाल उठाते हैं, लेकिन कभी ये नहीं बताते कि जब उनके पिता लालू यादव मुख्यमंत्री थे, उस समय कितनों को सरकारी नौकरी मिली थी। अगर नौकरियों की बात हो रही है, तो यह हिसाब भी जनता को मिलना चाहिए।"

आनंद मोहन ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव केवल जुबानी दावे और चुनावी वादों के सहारे राजनीति करना चाहते हैं, लेकिन जब उनके पिता की सरकार की बात आती है तो वे मौन साध लेते हैं।

रोजगार पर छिड़ी बहस को मिली नई दिशा

गौरतलब है कि तेजस्वी यादव ने हाल ही में फिर से बिहार में युवाओं को सरकारी नौकरी देने को लेकर सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार पर रोजगार देने के दावों को लेकर सवाल उठाए थे। तेजस्वी अक्सर यह दावा करते हैं कि अगर उनकी सरकार आती है तो युवाओं को बड़ी संख्या में नौकरी दी जाएगी।

आनंद मोहन के इस बयान के बाद रोजगार का मुद्दा अब सियासी बहस का और भी बड़ा केंद्र बन गया है। जहां एक ओर तेजस्वी वर्तमान सरकार को विफल बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एनडीए खेमे से जुड़े नेता राजद के ‘टrack record’ को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

राजनीतिक निहितार्थ

आनंद मोहन का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे राजद के खिलाफ एक संगठित सियासी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। 2025 के विधानसभा चुनावों को लेकर बिहार में सियासी माहौल गरम होता जा रहा है और ऐसे में तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए एनडीए खेमे में कई नेता हमलावर रुख अपना रहे हैं।

विशेष बात यह है कि आनंद मोहन हाल ही में जेल से बाहर आने के बाद से फिर से सक्रिय राजनीति में कदम रखने की तैयारी में हैं और ऐसे में उनका यह बयान उन्हें सियासी केंद्र में लाने का एक प्रयास भी माना जा रहा है।

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