'सीमा सुरक्षा के साथ देश की संस्कृति की रक्षा भी जरूरी', कार्यक्रम में बोले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शुक्रवार को दरभंगा पहुंचे, जहां वे 'सीमा सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी' विषय पर एक दिवसीय सेमिनार में हिस्सा लेंगे। जिला मुख्यालय स्थित लहेरियासराय सभागार में आयोजित इस सेमिनार में दोनों राज्यपालों ने देश की सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे। इस दौरान छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी कहीं से आकर यहां बस जाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि घुसपैठ देश की सुरक्षा, संस्कृति और व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है। डेक्का ने कहा कि अवैध तरीके से भारत में आने वाले लोग आधार कार्ड और वोटर कार्ड हासिल कर देश के नागरिक बन जाते हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पहचान पत्र बनाने से पहले हर व्यक्ति की पूरी जांच होनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश किसी के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करता, लेकिन अगर आपको यहां रहना है, तो आपको कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। जब हम दूसरे देशों में जाते हैं तो हमें कई तरह की जांच और औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं, लेकिन हमारे देश में इस प्रक्रिया में अक्सर देरी होती है। इसमें सुधार की जरूरत है।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सीमा सुरक्षा के साथ-साथ देश की संस्कृति और सभ्यता की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सिर्फ सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को भी सैनिक की तरह सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सैनिक रातभर जागते हैं, तो हम चैन की नींद सोते हैं। नागरिकों को भी अपने स्तर पर सतर्क रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश के प्रति नागरिकों की उदासीनता सबसे बड़ा खतरा है। घुसपैठ सिर्फ सीमा के लिए ही चुनौती नहीं है, यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने के लिए भी बड़ा खतरा हो सकता है। हमें सतर्क रहना चाहिए और ऐसे लोगों पर नजर रखनी चाहिए, बल्कि प्रशासन को भी उनके बारे में सूचित करना चाहिए। राज्यपाल खान ने कहा कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिया है। आज भी जब कुछ देश शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, तो भारत ज्ञान और बुद्धिमता से उनका जवाब दे रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में देश के प्रधानमंत्री ने पहलगाम में हुई आतंकी घटना का प्रभावी जवाब दिया है, जिससे यह संदेश गया है कि भारत अब किसी भी चुनौती का जवाब देने में सक्षम है। सेमिनार में ये मुख्य मुद्दे सामने आए, जिसमें भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां कोई भी अवैध रूप से बस सकता है। इसके साथ ही पहचान पत्र बनाने से पहले हर स्तर पर कड़ी जांच होनी चाहिए। वहीं, घुसपैठियों पर नजर रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। देश की सुरक्षा सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि समाज के भीतर भी जरूरी है। नागरिकों की उदासीनता देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर उस शक्ति का जवाब देना भी जानता है। इस दौरान कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल, विद्यार्थी व आम नागरिक मौजूद रहे। आयोजकों ने दोनों राज्यपालों का स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। सेमिनार का उद्देश्य नागरिकों में सुरक्षा जागरूकता फैलाना और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना था।