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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी में संगठनात्मक फेरबदल, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यकारी समिति की घोषणा

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन हो चुका है. नए कार्यकारी सदस्यों की भी सूची तीन दिन पहले 23 जुलाई को निकल चुकी है. इसके चुनाव से पहले आरजेडी के विभिन्न प्रकोष्ठों  के अध्यक्षों की भी अदला-बदली की गई.

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन कर लिया गया है, और इसके साथ ही 23 जुलाई को नई कार्यकारी समिति की सूची भी जारी कर दी गई। चुनाव से पहले यह फैसला पार्टी को नई दिशा देने और जमीनी स्तर पर संगठन को और मज़बूत करने के उद्देश्य से लिया गया है।

आरजेडी सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया काफी सोच-समझकर पूरी की गई है। नए अध्यक्ष को ऐसे समय में कमान सौंपी गई है जब पार्टी को न सिर्फ अपने पुराने जनाधार को बनाए रखना है, बल्कि युवा और नए मतदाताओं को भी जोड़ना है। हालांकि पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी गई है, लेकिन पार्टी के अंदरखाने से मिल रही खबरों के अनुसार यह फैसला पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की सहमति से लिया गया।

इसके साथ ही पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों में भी बदलाव किया गया है। आरजेडी के युवा, महिला, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और छात्र संगठनों के अध्यक्षों की अदला-बदली की गई है। इन बदलावों को पार्टी की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है, ताकि आगामी चुनावों में सभी वर्गों में प्रभावी पहुंच बनाई जा सके।

आरजेडी नेताओं का मानना है कि यह संगठनात्मक बदलाव कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा देने का काम करेगा। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “हमने जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी है। पार्टी अब बूथ स्तर तक की मजबूती पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सभी नए पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय होकर जनसंपर्क अभियान शुरू करें।”

विश्लेषकों का मानना है कि यह फेरबदल आरजेडी की चुनावी तैयारियों का अहम हिस्सा है। पार्टी खुद को एक मजबूत और संगठित विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है, खासकर ऐसे समय में जब एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमों में सीटों को लेकर मंथन जारी है।

पार्टी के अंदर यह भी माना जा रहा है कि युवा चेहरों को आगे लाकर आरजेडी एक बार फिर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवा वोट बैंक को साधना चाहती है। प्रकोष्ठों के नए अध्यक्षों में बड़ी संख्या में युवाओं को शामिल किया गया है, जिससे पार्टी की छवि को तरोताजा करने की कोशिश की जा रही है।

बहरहाल, अब देखना होगा कि ये संगठनात्मक बदलाव चुनावी मैदान में किस हद तक असर दिखा पाते हैं। लेकिन इतना तय है कि आरजेडी ने चुनाव से पहले अपनी कमर कस ली है और पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

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