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बिहार चुनाव से पहले मचा सियासी घमासान, वोट को लेकर भिड़े महात्मा गांधी के परपोते

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक घमासान चरम पर पहुँच गया है। इस बीच, चंपारण में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी के साथ हुए दुर्व्यवहार ने विवाद को और हवा दे दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक स्थानीय मुखिया ने तुषार गांधी का अपमान किया, जिसके बाद विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।

क्या है पूरा मामला?

तुषार गांधी को चंपारण में एक कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। बताया जा रहा है कि अपने भाषण में उन्होंने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखी टिप्पणियाँ कीं और महागठबंधन को वोट देने की अपील की। इससे नाराज़ स्थानीय मुखिया विनय साहू ने उन्हें रोका और कहा, "आप गांधी के वंशज हैं, आपको शर्म आनी चाहिए। आप सिर्फ़ नीतीश और मोदी की आलोचना कर रहे हैं। यहाँ से चले जाइए।" इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया।

मतदाता सूची संशोधन पर विवाद
चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया को लेकर बिहार में पहले से ही तनाव है। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस और राजद, इसे गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के वोट छीनने की साजिश बता रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह मतदाता सूची में छेड़छाड़ की कोशिश की जा रही है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।"

विपक्ष का दावा
विपक्ष का दावा है कि एसआईआर के तहत मांगे गए दस्तावेज़, जैसे जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के रिकॉर्ड, गरीब और हाशिए पर पड़े समुदायों को उपलब्ध नहीं हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इसे "मतदान बंद" और "चुपके से एनआरसी लागू करने का प्रयास" बताया है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है और इसका उद्देश्य फर्जी मतदाताओं को हटाकर मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है।

सुप्रीम कोर्ट में मामला
मतदाता सूची विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है और इस पर रोक लगाने की मांग की है। 10 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्य करने का सुझाव दिया था, लेकिन इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने चुनाव आयोग से इसकी वैधता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

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