बिहार चुनाव 2025 से पहले तेज प्रताप यादव चर्चा में, ‘सत्य के मार्ग’ पर चलने का दिया संदेश, क्या नई राजनीतिक पारी की तैयारी?

बिहार की राजनीति में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले तेज प्रताप यादव, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे, एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गए हैं। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसा संदेश दिया है जिसने सियासी हलकों में हलचल बढ़ा दी है। तेज प्रताप ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर ‘सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति सदा विजय होता है’ का संदेशन देते हुए राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के संकेत दिए हैं। यह पोस्ट ऐसे समय आया है जब उन्हें उनकी ही पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
सोशल मीडिया पर तेज प्रताप का भावुक संदेश
तेज प्रताप यादव ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा: “सत्य का रास्ता चुनने वालों की हमेशा जीत होती है। हमेशा सच की रास्ता पर चलना चाहिए। सत्य का मार्ग कठिन अवश्य है पर विजय सदा सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति की होती है। राजा हरीश चंद्र ने सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को दोबारा प्राप्त किया। पांडवों ने सत्य के मार्ग पर चलते हुए कौरवों को युद्ध में हराया था।” इस पोस्ट के साथ उन्होंने दो तस्वीरें भी साझा कीं, जिसमें वे जनता के बीच दिख रहे हैं — बिल्कुल वैसे ही जैसे लालू प्रसाद यादव अपने दौर में जनता दरबार लगाया करते थे। तेज प्रताप आम लोगों की समस्याएं सुनते हुए नजर आए, जिससे यह संकेत मिला कि वे जनता से जुड़ाव और राजनीतिक वापसी की कोशिश में हैं।
क्या कटाक्ष कर रहे हैं तेज प्रताप?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो तेज प्रताप का यह पोस्ट केवल एक “प्रेरणात्मक संदेश” नहीं है, बल्कि यह सीधा कटाक्ष भी हो सकता है — उन लोगों पर जिन्होंने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। भले ही उन्हें RJD से निकाला गया हो, लेकिन उनका राजनीतिक जोश कम नहीं हुआ है। इस पोस्ट से यह साफ होता है कि वे खुद को 'सत्य के मार्ग पर चलने वाला नेता' साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह संकेत भी दिया जा रहा है कि वे अपनी नई सियासी पारी शुरू करने की तैयारी में हैं।
क्यों हुए तेज प्रताप यादव RJD से बाहर?
तेज प्रताप यादव को RJD से निष्कासित करने का निर्णय तब लिया गया जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ निजी और विवादास्पद तस्वीरें पोस्ट कर दीं। इन तस्वीरों को लेकर राजनीतिक हलकों में भारी विवाद हुआ और पार्टी की छवि पर असर पड़ा। माना जाता है कि पार्टी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने खुद इस फैसले पर मुहर लगाई और बेटे को न केवल पार्टी से बल्कि घर से भी निकाल दिया। यह फैसला बेहद कठोर और भावनात्मक माना गया, क्योंकि पिता-पुत्र के संबंध भी अब सार्वजनिक मंच पर राजनीति की बलि चढ़ते नजर आए।
तेज प्रताप का राजनीतिक अनुभव
तेज प्रताप यादव, पूर्व में बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। भले ही उनके बयानों और अंदाज को लेकर अकसर विवाद होते रहे हों, लेकिन वे बिहार की युवा राजनीति में एक मजबूत नाम बन चुके हैं। उनका पार्टी से बाहर जाना न सिर्फ तेज प्रताप के लिए बल्कि RJD के लिए भी एक राजनीतिक नुकसान माना जा रहा है, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले।
क्या हो सकती है तेज प्रताप की अगली चाल?
तेज प्रताप यादव के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट, जनता के बीच उनकी सक्रियता और 'सत्य के मार्ग' की बात, इस ओर इशारा कर रहे हैं कि वे जल्द ही कोई नई राजनीतिक घोषणा कर सकते हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वे या तो कोई नया दल बना सकते हैं, या फिर किसी अन्य गठबंधन से जुड़ सकते हैं। हालांकि इस पर तेज प्रताप की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनकी गतिविधियों से यह स्पष्ट हो रहा है कि वे 2025 के चुनाव में अहम भूमिका निभाने की तैयारी में हैं।
निष्कर्ष: तेज प्रताप फिर से चुनावी रण में?
RJD से निष्कासन के बाद तेज प्रताप यादव ने जो चुप्पी तोड़ी है, वह केवल भावनात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक भी लगती है। उन्होंने न सिर्फ खुद को एक सत्यवादी योद्धा के रूप में पेश करने की कोशिश की है, बल्कि यह भी दिखाया है कि वे अब भी जनता के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। अब देखना यह है कि तेज प्रताप आगामी चुनाव से पहले किस नई सियासी राह पर चलते हैं — क्या वे पिता से अलग अपनी राजनीतिक पहचान बनाते हैं, या फिर किसी नए सियासी गठजोड़ का हिस्सा बनते हैं? इतना तय है कि बिहार की राजनीति में तेज प्रताप का अगला कदम सबकी नजर में होगा।