43 साल बाद पटना में फिर गूंजेगी ‘नदिया के पार’, भोजपुरी सिनेमा की विरासत से रूबरू होगी नई पीढ़ी
बिहार की ग्रामीण संस्कृति, लोक परंपराओं और सरल जीवन शैली को पर्दे पर जीवंत रूप में प्रस्तुत करने वाली सुपरहिट भोजपुरी फिल्म ‘नदिया के पार’ एक बार फिर दर्शकों के सामने आने जा रही है। 43 साल बाद यह ऐतिहासिक फिल्म पटना में फिर से प्रदर्शित की जाएगी। इस विशेष आयोजन का आयोजन बिहार राज्य फिल्म विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को बिहार की सांस्कृतिक जड़ों, लोककला और सिनेमा की समृद्ध परंपरा से जोड़ना है।
साल 1982 में रिलीज हुई ‘नदिया के पार’ को भोजपुरी सिनेमा की मील का पत्थर मानी जाती है। इस फिल्म ने न सिर्फ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण समाज को सशक्त तरीके से प्रस्तुत किया, बल्कि भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान भी दिलाई। फिल्म की कहानी, संवाद, गीत-संगीत और अभिनय आज भी दर्शकों के दिलों में खास जगह रखते हैं।
फिल्म विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान समय में जब युवा पीढ़ी आधुनिक और डिजिटल सिनेमा की ओर अधिक आकर्षित हो रही है, ऐसे में इस तरह की क्लासिक फिल्मों का पुनः प्रदर्शन बेहद जरूरी है। इससे युवाओं को यह समझने का मौका मिलेगा कि पहले के दौर में सिनेमा किस तरह समाज, संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों को दर्शाता था।
पटना में होने वाले इस विशेष प्रदर्शन को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप दिया जाएगा। फिल्म शो के साथ-साथ परिचर्चा, स्मृति सत्र और भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर चर्चा भी आयोजित की जाएगी। इसमें फिल्म समीक्षक, रंगकर्मी, कलाकार और सिनेमा प्रेमी शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया जाएगा कि ‘नदिया के पार’ ने कैसे भोजपुरी फिल्मों की दिशा और दशा को बदला।
फिल्म के गीत आज भी लोकगीतों की तरह गाए जाते हैं और ग्रामीण समाज की भावनाओं को दर्शाते हैं। फिल्म की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके कई दृश्य और संवाद आज भी लोगों को याद हैं। यह फिल्म प्रेम, परंपरा, सामाजिक रिश्तों और गांव की सहज जिंदगी को बेहद संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है।
बिहार राज्य फिल्म विकास निगम का मानना है कि इस तरह के आयोजनों से न सिर्फ पुरानी फिल्मों को नया जीवन मिलेगा, बल्कि स्थानीय सिनेमा उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही नई पीढ़ी को यह प्रेरणा मिलेगी कि वे अपनी भाषा, संस्कृति और लोक परंपराओं को सहेजें।
फिल्म के पुनः प्रदर्शन की खबर से पटना सहित पूरे बिहार में सिनेमा प्रेमियों में उत्साह देखा जा रहा है। खासकर वे दर्शक, जिन्होंने दशकों पहले इस फिल्म को देखा था, एक बार फिर उस दौर की यादों में लौटने को उत्सुक हैं। वहीं युवा दर्शकों के लिए यह मौका होगा कि वे पहली बार बड़े पर्दे पर भोजपुरी सिनेमा की इस अमूल्य धरोहर को देखें।

