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मधुबनी में प्रशासनिक संकट: कोर्ट का नोटिस, समाहरणालय को नीलाम करने की चेतावनी

मधुबनी में प्रशासनिक संकट: कोर्ट का नोटिस, समाहरणालय को नीलाम करने की चेतावनी

मधुबनी में एक अनोखा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रशासनिक अधिकारियों को कोर्ट द्वारा गंभीर चेतावनी दी गई है। दरअसल, मधुबनी के कलेक्टर और एसपी कार्यालय परिसर में एक कोर्ट का नोटिस चिपका दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि 15 दिनों के भीतर पूरे समाहरणालय को नीलाम कर दिया जाएगा। यह नोटिस उस समय के हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति घनश्याम प्रसाद द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुपालन में असफलता के कारण जारी किया गया है।

मामला क्या है?

यह मामला मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक रतन कुमार केडिया बनाम पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल, बिहार सरकार एवं अन्य के बीच था। उच्च न्यायालय के तत्कालीन जस्टिस घनश्याम प्रसाद ने 20 अगस्त 2014 को इस मामले में आदेश पारित किया था। इस आदेश के तहत, राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को 28 लाख 90 हजार 168 रुपये का एडवांस भुगतान, 2 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति, 70 हजार रुपये मुकदमा खर्च और एक लाख 80 हजार रुपये आर्बिट्रेटर की फीस के रूप में देने का आदेश दिया गया था।

प्रशासनिक उपेक्षा का परिणाम

अधिवक्ता वरुण कुमार झा के अनुसार, इस आदेश के बावजूद प्रशासन ने समय पर इसका पालन नहीं किया, जिससे कोर्ट को कड़ी प्रतिक्रिया दिखानी पड़ी। कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने का परिणाम यह हुआ कि अब समाहरणालय के नीलामी का नोटिस जारी किया गया है। यह प्रशासनिक उपेक्षा और न्यायालय के आदेश की अवहेलना को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

न्याय का सामना करने की चेतावनी

न्यायालय ने यह सख्त कदम उठाकर प्रशासन को यह चेतावनी दी है कि वे कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने की स्थिति में न केवल कानूनी परिणामों का सामना करेंगे, बल्कि इससे आम जनता का विश्वास भी प्रशासन से उठ सकता है। यदि इस आदेश को तुरंत लागू नहीं किया गया, तो पूरे समाहरणालय को नीलाम करने का आदेश कार्यान्वित हो सकता है।

क्या होगा अगला कदम?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है। क्या कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारी जल्द से जल्द कोर्ट के आदेश को लागू करेंगे, या फिर और भी कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी?

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