Bihar के छोटे से गांव की गलियों में क्रिकेट खेलने वाला मुकेश अब भारत के लिए करेगा कमाल, गांव में खुशी !
मुकेश के चाचा धर्मनाथ सिंह बताते हैं कि बचपन से ही मुकेश का क्रिकेट से लगाव रहा। साइकिल से कई किलोमीटर तक जाकर गांव में क्रिकेट खेलने वाले मुकेश का चयन जब बंगाल रणजी टीम में हो गया तो परिवार के साथ कोलकाता में ही रहने लगे। दुर्भाग्य था कि बिहार में उस समय क्रिकेट टीम को मान्यता नहीं मिली थी, इसलिए मुकेश बंगाल से रणजी ट्रॉफी खेलते थे। बचपन में कभी क्रिकेट खेलने के लिए मुकेश के पिता स्व. काशीनाथ सिंह और चाचा कृष्णा सिंह डांटते थे और विरोध करते थे, लेकिन वही मुकेश आज पूरे देश में क्रिकेट की दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं। बचपन के बीती बातों को याद कर आज भी मुकेश के चाचा कृष्णा सिंह भावुक हो जाते हैं। वे बताते हैं कि मुकेश का परिवारिक पृष्ठभूमि बेहद साधारण है। मुकेश के पिता कोलकाता में खुद का ऑटो चलाते थे। इस बीच, उनका निधन हो गया, लेकिन मुकेश ने क्रिकेट नहीं छोड़ी। घर की माली हालत खराब होने की वजह से ऑटो से ही पूरा परिवार का भरण- पोषण चलता था।
काकड़कुंड गांव के रहनेवाले मुकेश कुमार गांव की गलियों और खेतों में क्रिकेट खेलकर आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। मुकेश की इस कामयाबी को देख उनकी मां मालती देवी बेहद खुश हैं। मालती देवी बताती हैं कि पढ़ाई को लेकर मुकेश को काफी डांट सुननी पड़ी है, लेकिन वह क्रिकेट का दीवाना था। उन्होंने कहा कि गोपालगंज का बेटा अब देश के लिए खेलेगा। गोपालगंज जिला क्रिकेट टीम के कप्तान अमित कुमार सिंह कहते हैं कि प्रारंभ से ही मुकेश के लिए क्रिकेट ही पूरी दुनिया रही है। किसी मैच में अगर उसकी गेंदबाजी का लाइन बिगड़ जाता था, तो दूसरे दिन वह उस पर कड़ी मेहनत करता था। उन्होंने कहा कि आज इसी जिले के गलियों और खेतों, मैदानों में खेलने वाला मुकेश अब बड़े बड़े स्टेडियम में क्रिकेट के क्षेत्र में हमारे जिले का नाम रोशन करेगा, यह हमारे लिए भी गर्व की बात है।
इधर, सोमवार को गोपालगंज के जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने क्रिकेटर मुकेश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि यह गोपालगंज ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार को गौरवान्वित किया है। डीएम ने क्रिकेटर मुकेश कुमार से बात की और उन्हें आगामी छह अक्टूबर से साउथ अफ्रीका के साथ होने वाले मैच के लिए अग्रिम बधाई दी।
--आईएएनएस
गोपालगंज न्यूज डेस्क !!
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