आदिवासी परिवार के 5 लोगों को ज़िंदा जलाया, राहुल गांधी ने की पीड़ितों से बात
बिहार के पूर्णिया जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक आदिवासी परिवार के 5 सदस्यों को जिंदा जला कर मार डाला गया। घटना इतनी वीभत्स थी कि पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है और लोग सदमे में हैं। इस घटना ने समाज में फैले अंधविश्वास और भीड़तंत्र की क्रूरता की सच्चाई को उजागर कर दिया है।
डायन बताकर किया गया हमला
जानकारी के अनुसार, यह हृदयविदारक घटना पूर्णिया के एक आदिवासी टोले में हुई, जहां 50 से अधिक लोगों की उग्र भीड़ ने एक महिला को डायन बताकर उसके पूरे परिवार पर हमला बोल दिया। पहले घर को चारों ओर से घेर लिया गया, फिर उसमें आग लगा दी गई। जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक पांच लोग जिंदा जलकर मौत के शिकार हो गए।
बताया जा रहा है कि पीड़ित महिला पर गांव के कुछ लोगों ने बीमारी फैलाने और बच्चों की तबीयत खराब करने का आरोप लगाते हुए डायन होने की अफवाह फैलाई थी। अंधविश्वास में डूबी भीड़ ने बिना किसी जांच या पुष्टि के इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया।
राहुल गांधी ने जताया शोक, की पीड़ित परिवार से बात
इस दुखद घटना पर महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने रविवार को पीड़ित परिवार से फोन पर बातचीत की और अपना दुख साझा किया। राहुल गांधी ने परिवार के सदस्यों से घटना की पूरी जानकारी ली और उन्हें हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया।
राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पर भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा, "पूर्णिया की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। अंधविश्वास के नाम पर इस तरह की हिंसा एक सभ्य समाज के लिए कलंक है। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।"
प्रशासन और सरकार पर उठे सवाल
इस घटना को लेकर विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। कई नेताओं का कहना है कि बिहार में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है और सरकार ऐसे मामलों में रोकथाम करने में विफल हो रही है।
हालांकि, जिला प्रशासन ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है और जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस घटना के सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अंधविश्वास बनाम आधुनिकता
पूर्णिया की यह घटना एक बार फिर इस सवाल को सामने लाती है कि 21वीं सदी में भी देश के कई हिस्सों में अंधविश्वास किस हद तक लोगों की सोच पर हावी है। डायन बताकर हत्या करना न सिर्फ एक अमानवीय कृत्य है, बल्कि यह समाज के उस हिस्से की हकीकत है जहां शिक्षा, जागरूकता और कानून की पहुंच अब भी बेहद कमजोर है।

