पूर्वी बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएनएमसीएच) से चौंकाने वाली खबर सामने आई है। अस्पताल में मरीजों का इलाज करते-करते तीन डॉक्टर संक्रमण की चपेट में आ गए, वहीं दो डॉक्टर को एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी) जैसी गंभीर बीमारी हो गई। हालांकि फिलहाल पांचों डॉक्टरों की हालत सामान्य बताई जा रही है और वे अपनी नियमित ड्यूटी कर रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन का बयान
जेएलएनएमसीएच प्रबंधन ने जानकारी दी कि संक्रमित डॉक्टरों को तत्काल इलाज और देखभाल दी गई। सभी का स्वास्थ्य अब स्थिर है और किसी तरह का बड़ा खतरा नहीं है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि डॉक्टरों को संक्रमण संभवतः मरीजों की लगातार देखभाल और संपर्क में आने की वजह से हुआ।
गंभीर खतरे का संकेत
डॉक्टरों का इलाज के दौरान संक्रमित होना न केवल चिकित्सा कर्मियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और संक्रमण नियंत्रण के लिए भी सवाल खड़े करता है। खासकर एमडीआर टीबी का संक्रमण गंभीर माना जाता है क्योंकि इस पर सामान्य दवाइयों का असर नहीं होता। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों से साफ है कि चिकित्सक लगातार उच्च जोखिम में काम कर रहे हैं।
हाल की घटनाओं से जुड़ाव
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले इसी अस्पताल में ब्रेन टीबी से पीड़ित एक छात्र की मौत हो गई थी। उस घटना ने भी अस्पताल में संक्रमण के खतरे और सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े किए थे। अब डॉक्टरों का बीमार पड़ना यह दिखाता है कि अस्पताल में संक्रमण नियंत्रण के लिए और सख्त उपाय करने की जरूरत है।
डॉक्टरों का साहस
संक्रमण और बीमारी के बावजूद पांचों डॉक्टर अब विभाग में अपनी नियमित ड्यूटी निभा रहे हैं। यह उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है। अस्पताल प्रशासन और सहकर्मी भी उनके जज्बे की सराहना कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों से स्पष्ट होता है कि अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर और नर्स लगातार जोखिम झेलते हैं। उनके लिए उच्च स्तरीय सुरक्षा उपकरण, मास्क, ग्लव्स और नियमित स्वास्थ्य जांच अनिवार्य की जानी चाहिए। एमडीआर टीबी जैसे संक्रमण से बचाव के लिए विशेष आइसोलेशन वार्ड और नियमित सैनिटाइजेशन जरूरी है।
प्रशासन की चुनौती
जेएलएनएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में हर दिन हजारों मरीज इलाज कराने आते हैं। इस कारण संक्रमण फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है कि इलाज की गुणवत्ता बनाए रखते हुए डॉक्टरों और स्टाफ को सुरक्षित रखा जाए।

