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आवास योजना में मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाना कर्नाटक सरकार का तुष्टिकरण : प्रल्हाद जोशी

बेंगलुरु, 19 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं जन वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक में मुसलमानों के आरक्षण को बढ़ाए जाने की घटना को राज्य की कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की नीति करार दिया है।
आवास योजना में मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाना कर्नाटक सरकार का तुष्टिकरण : प्रल्हाद जोशी

बेंगलुरु, 19 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं जन वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक में मुसलमानों के आरक्षण को बढ़ाए जाने की घटना को राज्य की कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की नीति करार दिया है।

केंद्रीय मंत्री ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार की यह तुष्टिकरण की नीति है। धर्म के आधार पर शिक्षा, आवास, नौकरी, कांट्रैक्ट या किसी भी क्षेत्र में आरक्षण उचित नहीं है। यह गैर-संवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट भी इस बात को कह चुका है। कोर्ट के आदेश के बाद भी इस सरकार ने कांट्रैक्ट में चार प्रतिशत आरक्षण देने का दुस्साहस किया। अब आवास योजना में कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ओबीसी में गरीब हैं, एससी-एसटी में गरीब लोग हैं, सामान्य वर्ग में भी गरीब लोग हैं। उन लोगों का कोटा कम हो रहा है। राज्य सरकार सिर्फ मुसलमानों का कोटा बढ़ा रही है। इनको सिर्फ टीपू सुल्तान याद रहता है।

प्रल्हाद जोशी ने कहा कि राज्य में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुआ हादसा भी शामिल है। इससे ध्यान हटाने के लिए सरकार यह आरक्षण लेकर आई है।

कर्नाटक की सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य की हाउसिंग स्कीम (आवास योजना) के तहत मुस्लिम समुदाय का कोटा 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है। इस प्रस्ताव को गुरुवार को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। इस फैसले के बाद सरकार को विपक्षी पार्टी भाजपा के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ हुए तनाव के बाद सीजफायर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की किसी भी भूमिका का खंडन किया था। इसके बाद भी विपक्षी पार्टियां सीजफायर से जुड़े सवाल कर रही हैं।

पाकिस्तान के साथ सीजफायर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर विपक्ष के रुख पर प्रल्हाद जोशी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों से कहा, "आप उन पर क्यों विश्वास कर रहे हैं, जो भारत के नहीं हैं। आप भारतीय सेना के डीजीएमओ, विदेश मंत्रालय और विदेश सचिव पर भरोसा रखिए।"

--आईएएनएस

पीएके/एकेजे

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