‘Chutia Community’ के नाम पर हिमंत बिस्वा सरमा के ट्वीट ने असम में खड़ा किया सियासी तूफ़ान, जानिए क्या है बवाल की वजह ?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक 'X' पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है, जिसमें राज्य के 'चुटिया समुदाय' को आरक्षण देने की बात कही गई है। लेकिन सोशल मीडिया पर जो लोग इसके बारे में नहीं जानते, उन्होंने इस समुदाय का नाम पढ़कर आश्चर्य व्यक्त किया और सीएम सरमा के ट्वीट पर ढेरों कमेंट्स आए। जिन्हें नहीं पता, उन्हें यह ज़रूर जान लेना चाहिए कि यह एक विशेष समुदाय है जिसके पीछे एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास छिपा है, जिसे सुनकर और जानकर आप भी सलाम करेंगे।
सीएम सरमा के किस ट्वीट पर मचा बवाल
सीएम सरमा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि इस समुदाय की आकांक्षाओं को दशकों तक नज़रअंदाज़ किया गया, लेकिन अब उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है। सरकार ने वीरांगना सती साधना की प्रतिमा, 77 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता, एक राज्य विश्वविद्यालय और अब उच्च शिक्षा में आरक्षण जैसे कदम उठाए हैं। इस फैसले के तहत, राज्य विश्वविद्यालयों में 18 सीटें, पॉलिटेक्निक में 9 सीटें और इंजीनियरिंग कॉलेजों में 32 सीटें चुटिया छात्रों के लिए आरक्षित होंगी।
For decades, the Chutia community’s aspirations were ignored. ❌
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 10, 2025
Under our Govt, they’re taking centre stage! 💪
From the statue of Birangana Sati Sadhani to ₹77+ cr grants, a State University & reservation of seats, this is NEW Assam, where heritage fuels progress. pic.twitter.com/IgCNfU8q7V
जो भी समझना हो, समझ लीजिए, इसके पीछे एक इतिहास छिपा है
दरअसल, जिस 'चुटिया' शब्द का इस्तेमाल हम अंग्रेज़ी में किसी के लिए गाली के तौर पर करते हैं, वह कोई साधारण शब्द नहीं है। अगर हिंदी में देखें, तो चुटिया का मतलब बालों को गूंथकर बनाई गई चोटी का छोटा रूप भी नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि असम में एक आदिवासी समुदाय है, जिसका नाम 'चुटिया' और 'सुतिया' है और इन लोगों को 'चुटिया समुदाय' के नाम से भी जाना जाता है। यह समुदाय मंगोलिया के सिनो-तिब्बती परिवार से जुड़ा है, कहा जाता है कि ये उसी परिवार के वंशज हैं।
चुटिया समुदाय कौन हैं?
चुटिया समुदाय असम की एक प्राचीन और विशिष्ट जनजाति है, जो मुख्य रूप से ऊपरी असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, धेमाजी और लखीमपुर ज़िलों में निवास करती है। ऐतिहासिक रूप से, इस समुदाय ने 12वीं से 16वीं शताब्दी तक ब्रह्मपुत्र घाटी में चुटिया साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति, कृषि उत्पादन और सामाजिक योगदान के लिए प्रसिद्ध था। 1523-24 में अहोम साम्राज्य द्वारा इस राज्य पर कब्ज़ा करने के बाद, चुटिया लोगों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ और वे ऊपरी असम के अन्य हिस्सों के साथ-साथ मध्य असम में भी फैल गए।
चुटिया समुदाय के लोग कहाँ रहते हैं?
'असमिया क्रॉनिकल' के अनुसार, इस समुदाय का नाम 'चुटिया सम्राट' असमभिना के नाम पर रखा गया है, जो सातवीं शताब्दी के आरंभ में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर रहते थे। उस काल में, चुटिया राजवंश के लोगों ने वर्तमान भारतीय राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश में अपना साम्राज्य स्थापित किया और 1187 से 1673 तक वहाँ शासन किया। ऐसा माना जाता है कि असम में रहने वाला यह समूह पहला ऐसा समूह है, जिसके लोग दक्षिण चीन (वर्तमान तिब्बत और सिचुआन) से आकर बसे थे।
असम का चुटिया समुदाय
प्राचीन काल में, चुटिया समुदाय के लोग ब्रह्मपुत्र के उत्तरी छोर से पूरे देश पर शासन करते थे। पहले ये लोग तिब्बती-बर्मी मूल की भाषा बोलते थे, लेकिन धीरे-धीरे हिंदू धर्म अपनाने के बाद ये असमिया बोलने लगे। ऐसा कहा जाता है कि असम में आकर बसने से पहले इन लोगों का मूल निवास स्थान सिचुआन हुआ करता था।
लोकगीतों में इसका उल्लेख मिलता है
आरएम नाथ ने अपनी पुस्तक "असमिया संस्कृति की पृष्ठभूमि" में दावा किया है कि चुटिया शब्द की उत्पत्ति पहाड़ की चोटी (जिसे स्थानीय भाषा में चुत कहा जाता है) से हुई है। ऊपरी असम के मैदानों में आने से पहले ये लोग पहाड़ों पर रहते थे। इस समुदाय के कई लोकगीत हैं, जिनके माध्यम से वे कहते हैं कि वे भूमिक्का और सुबाहु के वंशज हैं। चुटिया समुदाय के लोग माँ काली के विभिन्न अवतारों की पूजा करते हैं। इस समुदाय के लोग भी हिंदू हैं और बहुत बड़ी संख्या में हैं।

