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असम से मणिपुर तक बाढ़-बारिश का कोहराम, पूर्वोत्तर में 50 मौतें, 600 भूस्खलन, 1500 गांव जलमग्न

पूर्वोत्तर भारत इन दिनों भयंकर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही....
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पूर्वोत्तर भारत इन दिनों भयंकर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन आपदाओं ने लाखों लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है, सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

असम में सबसे ज्यादा तबाही, 19 की मौत

असम इस आपदा का सबसे बड़ा शिकार बना है। 29 मई से अब तक अकेले असम में 19 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को बारिश में थोड़ी कमी जरूर आई, लेकिन हालात में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (ASDMA) की रिपोर्ट के अनुसार, 21 जिलों में 6.79 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।

राज्य के श्रीभूमि जिले में सबसे ज्यादा 2.59 लाख लोग प्रभावित हैं, जबकि हैलाकांडी में 1.72 लाख और नगांव में 1.02 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। 1,494 गांवों में पानी भर चुका है और करीब 14,977 हेक्टेयर खेती की जमीन बर्बाद हो चुकी है। सरकार ने राहत के लिए 190 शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें करीब 39,746 लोग शरण ले रहे हैं।

पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी मौत का तांडव

असम के अलावा पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक पूरे क्षेत्र में 50 लोगों की जान जा चुकी है:

  • अरुणाचल प्रदेश: 12 मौतें

  • मेघालय: 6 मौतें

  • मिजोरम: 5 मौतें

  • सिक्किम: 4 मौतें

  • त्रिपुरा: 2 मौतें

  • नागालैंड और मणिपुर: 1-1 मौत

असम में खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां

राज्य के ब्रह्मपुत्र सहित 8 प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इनमें बुरहिडीहिंग, कोपिली, बराक, सोनाई, रुकनी, धलेश्वरी, कटखल और कुशियारा शामिल हैं। गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में असम के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।

विशेषकर धुबरी, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार में 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने, गरज-चमक के साथ बारिश, और बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।

अरुणाचल प्रदेश में पुल बहा, गांवों का संपर्क टूटा

अरुणाचल प्रदेश के डिबांग वैली जिले में हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं। भारी बारिश से आई बाढ़ में नदी पर बना एक बड़ा पुल बह गया, जिससे कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। इन गांवों तक सड़क मार्ग पूरी तरह बंद हो चुका है।

प्रशासन अब ड्रोन और हेलिकॉप्टर के जरिए एयरड्रॉप ऑपरेशन के तहत लोगों तक राहत सामग्री पहुंचा रहा है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ में फंसे कई गांवों में खाद्य सामग्री, पीने का पानी और दवाइयों की भारी कमी हो गई है।

फसल तबाह, आजीविका संकट में

बाढ़ और भूस्खलन की वजह से न केवल लोगों की जान जा रही है, बल्कि कृषि भूमि का भी व्यापक नुकसान हुआ है। हजारों किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है। मछली पालन, बागवानी और डेयरी पर आधारित परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।

सरकार की कोशिशें तेज, लेकिन चुनौती बड़ी

राज्य और केंद्र सरकार की ओर से राहत कार्य तेज कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा बलों की टीमों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रभावित जिलों का दौरा किया और अधिकारियों को तेज राहत और पुनर्वास कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

हालांकि, लगातार बारिश और टूटे हुए संपर्क मार्गों की वजह से राहत कार्यों में काफी बाधाएं आ रही हैं।

निष्कर्ष: चेतावनी और सतर्कता का समय

पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ और भूस्खलन की यह आपदा हमें यह याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक वर्षा से क्षेत्र कितना संवेदनशील होता जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि आपदा प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग और त्वरित राहत नीति पर सरकार गंभीरता से काम करे।
अभी जरूरत है सतर्कता की, एकजुटता की और त्वरित राहत की — ताकि जान और माल का और नुकसान रोका जा सके।

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