Samachar Nama
×

"इंसान हैं या राक्षस" बुर्जूग महिला ने अधिकारीयों को जमकर दी गालियां, वायरल वीडियो में देखें मोदी के दौरे से पहले असम में भडके लोग

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले असम में प्रशासनिक मनमानी के आरोप, किसानों की फसलें बर्बाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असम के नामरूप दौरे से पहले प्रशासनिक कार्रवाइयों को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश देखा गया। खबरों के मुताबिक, अधिकारियों ने दौरे की तैयारियों के नाम पर पके हुए धान के खेतों पर पत्थर और रेत डाल दी, जिससे स्थानीय किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं। इस घटना ने न केवल किसानों में गुस्सा भड़का दिया है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने कार्यक्रम की तैयारियों में किसानों की फसल और रोज़ी-रोटी को पूरी तरह नजरअंदाज किया। खेतों में पड़ी धान की फसलें, जिन्हें कटाई के लिए तैयार किया जा रहा था, उन पर अचानक रेत और पत्थर डाल दिए गए। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। बुजुर्ग महिला, जिनकी जमीन इस कथित कार्रवाई से प्रभावित हुई, उन्होंने गुस्से में अधिकारियों से सवाल पूछा कि क्या इस तरह की कार्रवाई करने वाले लोग "इंसान हैं या राक्षस"।

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सिर्फ प्रधानमंत्री के दौरे को सुचारू और भव्य बनाने के लिए यह कदम उठाया। स्थानीय किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत से उगी फसलें इस तरीके से बर्बाद करना अस्वीकार्य है। किसान समुदाय ने प्रशासन से मुआवजे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

इस घटना ने सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में भी काफी ध्यान आकर्षित किया। कई लोगों ने प्रशासन की इस कार्रवाई की निंदा की और सवाल उठाए कि आखिर किस आधार पर किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया गया। किसान नेता भी सड़कों पर उतरकर विरोध जताने लगे और प्रशासन से जवाब मांगा।

किसी भी सरकारी कार्यक्रम या दौरे की तैयारी में किसानों और उनके अधिकारों को नजरअंदाज करना गंभीर मामला है। किसानों की फसलें उनके जीवन और आजीविका का मुख्य स्रोत हैं, और इस तरह के नुकसान से उनका जीवन प्रभावित होता है। साथ ही, प्रशासनिक स्तर पर इस तरह की कार्रवाई से लोगों में विश्वास की कमी पैदा होती है और स्थानीय प्रशासन की छवि भी प्रभावित होती है।

सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई दौरे के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक थी, लेकिन इससे किसानों को हुए नुकसान को कम करने के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे।

किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यक्रम की तैयारी के लिए किसानों की फसलें बर्बाद करने का कोई अधिकार नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि विकास और प्रशासनिक योजनाओं के बीच आम लोगों और किसानों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।

इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि बड़े कार्यक्रमों और दौरे की तैयारियों में स्थानीय लोगों और किसानों की चिंता और हितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो प्रशासन और सरकार के प्रति नाराजगी और विश्वास की कमी बढ़ती है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।

Share this story

Tags