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RAJSAMAND मोलेला के 50 परिवार मिट्टी की मूर्तियां बनाकर, बचा रहे पर्यावरण

KK
राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! मोलेला के मृण शिल्पकारी के विदेशी भी कायल हैं।कलाकार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित भी हाे चुके हैं। नाथद्वारा तहसील के मोलेला ग्राम में पिछले 800 सालों से मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने का कार्य किया जा रहा है। मोलेला में 50 कुम्हार जाति के लोग पिछले 800 वर्षों से मिट्टी के बर्तन, खिलौने व मूर्तियां बनाने का कार्य में जुटे हुए हैं। इनकी मूर्तियां देश ही नहीं वरन विदेश में भी खासी पहचान रखती हैं। खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि,मोलेला गांव के खेमराज कुम्हार को 1980 में सरकार ने दिल्ली में लगे कला मेले में आमंत्रित किया। वहां उनकी कला को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लोगों ने मोलेला की टेराकोटा आर्ट को काफी पसंद किया। राष्ट्रपति भी इस कला के मुरीद हुए। उन्होंने 1981 में खेमराज को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा।सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि, इसके बाद इस गांव में बाहर से आने वालों की संख्या में काफी इजाफा हो गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि,  जिले में एक मात्र गांव मोलेला के मृण शिल्पकार पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए के मिट्टी की प्रतिमाओं को बनाकर बेच रहे हैं। खेमराज वह उनके छोटे भाई कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। खेमराज के बाद उनके छोटे भाई मोहनलाल कुम्हार को भी 1988 राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके बाद मोहन लाल को 2012 में पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया। गणेशजी की प्रतिमाएं पूर्णतया इको फ्रेंडली होती हैं। यह प्रतिमाएं पानी में डालते ही गुल जाती हैं।

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