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श्रेयस अय्यर को आखिर कप्तानी में क्यों मिल रही इतनी सफलता? खिलाडी ने खुद उठा दिया राज से पर्दा

श्रेयस अय्यर को आखिर कप्तानी में क्यों मिल रही इतनी सफलता? खिलाडी ने खुद उठा दिया राज से पर्दा
श्रेयस अय्यर को आखिर कप्तानी में क्यों मिल रही इतनी सफलता? खिलाडी ने खुद उठा दिया राज से पर्दा

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। मुंबई के बल्लेबाज श्रेयस अय्यर की कप्तानी की क्रिकेट जगत में खूब तारीफ हो रही है। उन्होंने जिस भी टीम की अगुआई की है, उसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली है। 2024 में कोलकाता नाइट राइडर्स को 10 साल बाद तीसरा आईपीएल खिताब दिलाने के बाद उन्होंने 2025 में पंजाब किंग्स को 11 साल में पहली बार फाइनल में पहुंचाया। अय्यर के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी है, वह तीन अलग-अलग टीमों को आईपीएल फाइनल में पहुंचाने वाले इकलौते कप्तान हैं। उन्होंने 2020 में दिल्ली कैपिटल्स को उसके पहले और अब तक के एकमात्र फाइनल में पहुंचाया।

कप्तानी को लेकर क्या बोले श्रेयस अय्यर?

मुंबई के स्टार इस समय टी20 मुंबई लीग में सोबो मुंबई फाल्कंस की कप्तानी कर रहे हैं और उन्होंने कप्तानी को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, 'कप्तानी से काफी परिपक्वता और जिम्मेदारी आती है। आपसे हमेशा टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की उम्मीद की जाती है, खासकर जब टीम किसी मुश्किल या चुनौती का सामना करती है, तो कप्तान सबसे पहले देखा जाने वाला व्यक्ति होता है। मैं 22 साल की उम्र से कप्तानी कर रहा हूं और इससे मुझे काफी अनुभव मिला है। मैंने हर पल का लुत्फ उठाया और उसे अपनाया। मुझे टीम का नेतृत्व करना पसंद है।'

श्रेयस अय्यर को आखिर कप्तानी में क्यों मिल रही इतनी सफलता? खिलाडी ने खुद उठा दिया राज से पर्दा

अय्यर अपने जोन में रहते हैं
पंजाब किंग्स के कप्तान ने कहा कि वह मैदान पर अपने 'जोन' में जाने की कोशिश करते हैं और अपने सामने की स्थिति के अनुसार निर्णय लेते हैं। क्वालीफायर 2 में मुंबई इंडियंस के खिलाफ 204 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अय्यर ने अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। आईपीएल के इतिहास में यह पहली बार था जब मुंबई इंडियंस 200 से अधिक के स्कोर का बचाव करने में विफल रही।

अपने 'जोन' के बारे में अय्यर ने कहा, 'मैं बस अपने जोन में जाने की कोशिश करता हूं और जो भी मेरे सामने है, उसे करता हूं। मैं जितना संभव हो सके उतना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता हूं, वर्तमान में रहने की कोशिश करता हूं, स्थिति को स्वीकार करता हूं। मैं भीड़ को भी स्वीकार करता हूं क्योंकि कभी-कभी वे बहुत उत्साही हो जाते हैं और आपको ऊर्जा देते हैं। मैं खुद से कहता हूं कि मैं चाहता हूं कि भीड़ मेरा नाम जपें और यही मुझे प्रेरित करता है।'

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