सौरव गांगुली ने तोड़ी चुप्पी: कोचिंग से लेकर राजनीति तक, सब पर रखी बेबाक राय

भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लंबे समय से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि "दादा" अब राजनीति में कदम रख सकते हैं, खासकर 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए। इसके साथ ही क्रिकेट प्रेमियों के बीच यह चर्चा भी तेज थी कि क्या गांगुली भविष्य में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बन सकते हैं। इन सभी मुद्दों पर अब खुद गांगुली ने खुलकर अपनी बात रखी है।
एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कोचिंग को लेकर कहा, "मैंने कभी इस दिशा में गंभीरता से नहीं सोचा। कोचिंग एक बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिए न केवल समय, बल्कि पूरा समर्पण चाहिए। फिलहाल मेरा फोकस दूसरे पहलुओं पर है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।"
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब टीम इंडिया के अगले कोच को लेकर चर्चा तेज है और बीसीसीआई नए विकल्पों की तलाश में है। ऐसे में गांगुली का नाम स्वाभाविक रूप से चर्चा में आता है, क्योंकि बतौर कप्तान उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी थी और बीसीसीआई अध्यक्ष रहते हुए भी कई बड़े बदलावों की पहल की थी।
राजनीति में संभावित एंट्री को लेकर गांगुली ने साफ शब्दों में कहा, "मैं एक खिलाड़ी रहा हूं और आज भी मेरे अंदर वही जज्बा है। राजनीति में आने या न आने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया जाएगा। फिलहाल मैं कोई राजनीतिक पार्टी जॉइन नहीं कर रहा हूं, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।"
गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में सौरव गांगुली का नाम भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनों से जोड़ा गया है, लेकिन उन्होंने अब तक खुलकर किसी भी पार्टी के साथ राजनीतिक सक्रियता नहीं दिखाई है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की राजनीति में उनका प्रभाव और लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है।
सौरव गांगुली की ये टिप्पणियां यह दर्शाती हैं कि वे फिलहाल किसी एक क्षेत्र में बंधने को तैयार नहीं हैं। वे क्रिकेट, प्रशासन और सामाजिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाए हुए हैं और भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार किसी भी दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
फिलहाल क्रिकेट फैंस इस उम्मीद में हैं कि "दादा" किसी न किसी रूप में भारतीय क्रिकेट से फिर से गहराई से जुड़ेंगे — चाहे वह कोचिंग हो या सलाहकार की भूमिका। वहीं बंगाल की राजनीति भी उनकी ओर उम्मीद से देख रही है। सौरव गांगुली की यही बहुआयामी छवि उन्हें आम लोगों से जोड़ती है — एक सच्चे लीडर की तरह, जो हर मोर्चे पर नई मिसाल कायम करता है।