Keshav Maharaj: यूपी के सुल्तानपुर से डरबन कैसे पहुंचा अचानक केशव का परिवार, 'महाराज' उपनाम का राज क्या

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर 2023-25 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीत ली। फाइनल में टेम्बा बावुमा की टीम ने गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर किसी भी प्रारूप में अपना पहला विश्व चैंपियन खिताब जीता। इसके साथ ही टीम ने 27 साल का आईसीसी ट्रॉफी का सूखा भी खत्म किया। दक्षिण अफ्रीका के स्टार स्पिनर केशव महाराज ने डब्ल्यूटीसी फाइनल में भले ही एक विकेट लिया हो, लेकिन इस पूरे चक्र (2023-25) में उनकी भूमिका अहम रही। वह इस चक्र में कैगिसो रबाडा के बाद अपनी टीम के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। इस दौरान उन्होंने नौ टेस्ट मैचों में 41 विकेट लिए और उनका सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 59 रन देकर पांच विकेट रहा। केशव अक्सर चर्चा में रहते हैं और 'जय श्री राम' और 'जय बजरंग बली' के नारे लगाने को लेकर चर्चा में रहे हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उनका उत्तर प्रदेश से खास नाता है। उनके पूर्वज यूपी के सुल्तानपुर जिले में रहते थे। हालांकि, कई साल पहले वह काम की तलाश में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे और फिर वहीं बस गए। इसीलिए केशव जब भी भारत आते हैं तो यहां के मंदिरों में जरूर जाते हैं। 2023 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान केशव ने अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन भी किए थे। आइए जानते हैं उनकी कहानी...
केशव ने परिवार के साथ शेयर की तस्वीर
दक्षिण अफ्रीका द्वारा WTC खिताब जीतने के बाद ग्रीम स्मिथ से बात करते हुए केशव रो पड़े। उन्होंने इसे देश और देश के क्रिकेट के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह खिताब देश को एकजुट करने में मदद करेगा। केशव के पूर्वज उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के हैं। उनके और उनकी पत्नी लरीशा मुनसामी के अलावा उनके परिवार में उनके माता-पिता और श्रीलंका में ब्याही गई एक बहन शामिल हैं। केशव ने WTC जीतने के बाद टीम और परिवार के साथ एक तस्वीर भी शेयर की। एक तस्वीर में वह अपनी पत्नी लरीशा मुनसामी, बेटी मिलन, पिता आत्मानंद महाराज और मां कंचन माला के साथ नजर आए। इस दौरान वह हाथ में टेस्ट गदा लिए भी नजर आए।