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लीड्स टेस्ट में भारत-इंग्लैंड की टक्कर रोमांचक, लेकिन अंपायर के फैसले से खिलाड़ियों में नाराज़गी

लीड्स टेस्ट में भारत-इंग्लैंड की टक्कर रोमांचक, लेकिन अंपायर के फैसले से खिलाड़ियों में नाराज़गी
लीड्स टेस्ट में भारत-इंग्लैंड की टक्कर रोमांचक, लेकिन अंपायर के फैसले से खिलाड़ियों में नाराज़गी

भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला लीड्स के हेडिंग्ले मैदान में खेला जा रहा है, जहां मुकाबला बेहद रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका है। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने तीन बल्लेबाजों के शानदार शतकों की बदौलत 471 रन बनाए, तो वहीं इंग्लैंड की टीम ने भी दमदार जवाब देते हुए पहली पारी में 465 रन जड़ दिए। दोनों टीमों की पारियों के बाद मैच पूरी तरह से संतुलन में नजर आ रहा है, लेकिन एक विवाद ने इस मैच को चर्चा का विषय बना दिया है — और वह है अंपायर द्वारा बार-बार गेंद बदलने से इनकार करना।

भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने बार-बार गेंद की स्थिति को लेकर आपत्ति जताई। कप्तान शुभमन गिल, विकेटकीपर ऋषभ पंत और तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह कई बार अंपायरों से बातचीत करते नजर आए। खिलाड़ियों का कहना था कि गेंद के सीम में खराबी आ गई है और यह स्वाभाविक रूप से स्विंग नहीं कर रही है, जिससे गेंदबाजों को भारी दिक्कत हो रही थी।

मैच के दौरान एक ऐसा पल भी आया जब विकेटकीपर ऋषभ पंत अपनी नाराजगी पर काबू नहीं रख पाए और झल्लाहट में गेंद को फेंक दिया। उनके इस व्यवहार ने दर्शकों को चौंका दिया, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया कि मैदान पर मौजूद खिलाड़ियों की नाराजगी कितनी गहरी थी। जसप्रीत बुमराह, जो कि अपनी सटीक लाइन और लेंथ के लिए जाने जाते हैं, वह भी अंपायरों के इस रवैये से असंतुष्ट नजर आए।

खेल विशेषज्ञों और पूर्व क्रिकेटरों ने भी इस फैसले की आलोचना की है। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि अगर गेंद की स्थिति खेल को प्रभावित कर रही हो, तो अंपायर को उसे बदलना चाहिए। "यह केवल खेल की निष्पक्षता का सवाल नहीं है, बल्कि खिलाड़ियों की सुरक्षा और मानसिक स्थिति से भी जुड़ा मुद्दा है," उन्होंने एक चैनल से बातचीत में कहा।

गौरतलब है कि टेस्ट क्रिकेट में गेंद की स्थिति बेहद अहम होती है, खासकर तब जब मैच इंग्लैंड जैसे देश में हो, जहां स्विंग और सीम मूवमेंट का खेल पर गहरा असर होता है। ऐसे में एक असामान्य गेंद का लंबे समय तक इस्तेमाल गेंदबाजों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

हालांकि, अंपायरों ने गेंद की जांच के बाद उसे खेलने योग्य बताया और इसे बदलने से इनकार कर दिया। लेकिन भारतीय खेमें में इस बात की नाराजगी साफ नजर आई। अब देखना यह होगा कि क्या मैच के बाद भारतीय टीम इस मुद्दे को औपचारिक रूप से ICC के सामने उठाती है या नहीं।

फिलहाल मुकाबला बेहद दिलचस्प मोड़ पर है और दूसरी पारी में दोनों टीमों की रणनीति पर सभी की निगाहें टिकी होंगी। मगर इस पूरे प्रकरण ने साफ कर दिया कि तकनीकी प्रगति के बावजूद फील्ड अंपायरिंग के फैसले कभी-कभी खिलाड़ियों की नाराजगी का कारण बन सकते हैं।

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