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'मैं इमोशनल था' चिन्नास्वामी में RCB को हराने के बाद मोहम्मद सिराज क्यों हो गए मायूस?

'मैं इमोशनल था' चिन्नास्वामी में RCB को हराने के बाद मोहम्मद सिराज क्यों हो गए मायूस?
'मैं इमोशनल था' चिन्नास्वामी में RCB को हराने के बाद मोहम्मद सिराज क्यों हो गए मायूस?

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज 7 साल से आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेल रहे हैं। लेकिन, 2025 की मेगा नीलामी से पहले उन्हें आरसीबी ने रिलीज कर दिया था। ऐसे में सिराज को नीलामी में गुजरात टाइटन्स ने 12.25 करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम में खरीदा।

अब 2 अप्रैल को जब गुजरात टाइटन्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीमें एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में आमने-सामने हुईं तो सिराज ने जीटी की नीली जर्सी पहनी थी। इसे देखकर फैंस को भी थोड़ा अजीब लगा होगा। हालांकि, सिराज ने अपनी पूर्व टीम के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की और कोई रहम नहीं दिखाया। सिराज ने 4 ओवर में सिर्फ 19 रन दिए और 3 विकेट लिए। सिराज को उनके प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया। मैच के बाद भारतीय तेज गेंदबाज ने खुलासा किया कि चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी के खिलाफ खेलने के बाद वह भी भावुक हो गए थे।

मैच के बाद मोहम्मद सिराज ने क्या कहा?

'मैं इमोशनल था' चिन्नास्वामी में RCB को हराने के बाद मोहम्मद सिराज क्यों हो गए मायूस?

मोहम्मद सिराज ने प्लेयर ऑफ द मैच बनने के बाद अपने बयान में कहा, 'मैं थोड़ा भावुक था। मैं यहां सात साल तक रहा, अपनी जर्सी लाल से नीली कर ली और भावुक हो गया। लेकिन एक बार जब गेंद मेरे हाथ में आ गई तो मैं ठीक हो गया। मैं रोनाल्डो का प्रशंसक हूं और इसलिए यह एक जश्न था। मैं लगातार खेल रहा था, लेकिन ब्रेक के दौरान मैंने अपनी गलतियों को सुधारा और अपनी फिटनेस पर काम किया। गुजरात टाइटन्स द्वारा चुने जाने के बाद मैंने आशीष भाई से बात की। वह (नेहरा) मुझसे कहते हैं कि जाओ और अपनी गेंदबाजी का आनंद लो और इशु (इशांत) भाई मुझे बताते हैं कि किस लाइन और लेंथ पर गेंदबाजी करनी है। मेरा मानना ​​है कि आपको विश्वास रखना होगा और फिर पिच मायने नहीं रखती।

इसके अलावा अगर मैच की बात करें तो टॉस हारकर आरसीबी ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट के नुकसान पर 169 रन बनाए। गुजरात ने 170 रनों का लक्ष्य 17.5 ओवर में हासिल कर लिया और बेंगलुरु को इस सीजन में पहली बार हार का स्वाद चखना पड़ा।

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