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Video: टॉस से पहले इंग्लैंड में Sachin Tendulkar का जलवा, इस ऐतिहासिक सम्मान के बाद हमेशा के लिए लॉर्ड्स में हो गए अमर

टॉस से पहले इंग्लैंड में Sachin Tendulkar का जलवा, इस ऐतिहासिक सम्मान के बाद हमेशा के लिए लॉर्ड्स में हो गए अमर

क्रिकेट प्रेमियों के लिए 10 जुलाई, 2025 का दिन एक अविस्मरणीय याद बन गया, जब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की पेंटिंग लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड की ऐतिहासिक लॉन्ग रूम में अनावरण की गई। यह केवल एक कलाकृति नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों में बसे उस खिलाड़ी को दी गई वो श्रद्धांजलि है जिसने क्रिकेट को एक धर्म बना दिया।

क्रिकेट के मंदिर में सचिन को मिला स्थायी स्थान

इंग्लैंड और भारत के बीच लॉर्ड्स में तीसरा टेस्ट मैच शुरू होने से पहले जब यह सम्मान सचिन को मिला, तो यह समय और स्थान दोनों के लिहाज से बिल्कुल परिपूर्ण था। भले ही तेंदुलकर ने कभी लॉर्ड्स में टेस्ट शतक नहीं जड़ा — उनका सर्वोच्च स्कोर यहाँ सिर्फ 37 रन रहा — लेकिन क्रिकेट के इतिहास में उनका स्थान महानतम खिलाड़ियों की सूची में पहले से ही दर्ज है।

और अब जब उनका चित्र लॉन्ग रूम की दीवारों पर सज गया है, तो यह संदेश साफ है —

सचिन भले ऑनर्स बोर्ड पर न हों, लेकिन क्रिकेट की आत्मा में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।

लॉर्ड्स और आंकड़े जो अब मायने नहीं रखते

यह विडंबना ही है कि 51 टेस्ट शतक और लगभग 16,000 टेस्ट रन बनाने वाला यह बल्लेबाज़ कभी लॉर्ड्स में बड़ी पारी नहीं खेल पाया। यहां तक कि वनडे में भी तेंदुलकर के नाम केवल 45 रन (तीन मैचों में) ही हैं। लेकिन सचिन का प्रभाव आंकड़ों से नहीं, बल्कि उनके खेल की गरिमा, निरंतरता और प्रेरणा से नापा गया है। जहाँ आंकड़े चूक गए, अब कैनवस बोलता है। लॉर्ड्स में टंगी वह पेंटिंग आज एक ऐसी कहानी कहती है — जो आंकड़ों से परे है।

1998: जब सचिन ने लॉर्ड्स को जादू से भर दिया

लॉर्ड्स में सचिन का सबसे यादगार लम्हा 1998 में आया, जब उन्होंने Rest of the World XI की कप्तानी करते हुए MCC के खिलाफ मेमोरियल मैच में 125 रनों की शानदार पारी खेली। यह पारी भले ही ऑफिशियल आंकड़ों में शामिल नहीं हुई, लेकिन फैंस के दिलों में यह एक शुद्ध 'तेंदुलकर पल' बनकर आज भी ज़िंदा है।

लॉर्ड्स की घंटी बजाकर किया टेस्ट की शुरुआत

सचिन तेंदुलकर ने इस खास मौके पर लॉर्ड्स की प्रतिष्ठित पांच मिनट की घंटी बजाकर भारत-इंग्लैंड तीसरे टेस्ट की आधिकारिक शुरुआत की। यह परंपरा साल 2007 से शुरू हुई थी और इसे वही बजाते हैं, जिन्होंने क्रिकेट को अद्वितीय योगदान दिया हो। इस विशेष क्लब में सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली जैसे भारतीय दिग्गज पहले ही शामिल हो चुके हैं। अब सचिन तेंदुलकर भी उस गौरवशाली सूची में जुड़ गए हैं।

एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी: एक नई विरासत की शुरुआत

इस ऐतिहासिक सीरीज को और खास बनाती है ‘एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी’, जो इंग्लैंड के स्विंग किंग जेम्स एंडरसन और भारत के बल्लेबाज़ी सम्राट सचिन तेंदुलकर के नाम पर खेली जा रही है। यह पहली बार है जब भारत और इंग्लैंड के बीच द्विपक्षीय सीरीज इन दो दिग्गजों के नाम से सम्मानित हुई है।

सचिन की विरासत स्कोरबोर्ड से कहीं आगे

सचिन तेंदुलकर भले ही लॉर्ड्स ऑनर्स बोर्ड पर कभी जगह न बना पाए हों, लेकिन उन्होंने जो हासिल किया है, वह कहीं अधिक स्थायी है। लॉर्ड्स की लॉन्ग रूम में लगी उनकी पेंटिंग यह साबित करती है कि

महानता का मूल्य अंकों से नहीं, बल्कि उस सम्मान से होता है जो पीढ़ियों तक जीवित रहता है।

निष्कर्ष: क्रिकेट की आत्मा में अब सचिन का चित्र

लॉर्ड्स के ऐतिहासिक गलियारों में, जहाँ क्रिकेट की परंपराएं सांस लेती हैं, अब सचिन रमेश तेंदुलकर भी अमर हो चुके हैं। उनका चित्र न केवल उनकी उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि उस निष्ठा, सादगी और गरिमा का भी जो उन्होंने इस खेल को दी।

यह सिर्फ पेंटिंग नहीं है, यह एक कालजयी सलाम है उस खिलाड़ी को, जिसने बल्ले को धर्म और क्रिकेट को जीवन बना दिया।

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