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MPL फाइनल में बल्ला छीनने वाले खिलाड़ी ने उड़ाए 18 छक्के, टीम को बनाया चैंपियन – जानिए कौन हैं अर्शिन कुलकर्णी

MPL फाइनल में बल्ला छीनने वाले खिलाड़ी ने उड़ाए 18 छक्के, टीम को बनाया चैंपियन – जानिए कौन हैं अर्शिन कुलकर्णी
MPL फाइनल में बल्ला छीनने वाले खिलाड़ी ने उड़ाए 18 छक्के, टीम को बनाया चैंपियन – जानिए कौन हैं अर्शिन कुलकर्णी

कहा जाता है कि जिसके खून में क्रिकेट हो, उसे हराना आसान नहीं होता। लेकिन सिर्फ विरासत से खेल नहीं जीते जाते, मैदान में पसीना बहाना पड़ता है, संघर्ष करना पड़ता है — और यही कर दिखाया है अर्शिन कुलकर्णी ने, जिन्होंने महाराष्ट्र प्रीमियर लीग (MPL) 2025 में धमाकेदार प्रदर्शन कर अपनी टीम को चैंपियन बना दिया।

MPL फाइनल के दौरान एक घटना ने सबका ध्यान खींचा — वैभव सूर्यवंशी से उनका बल्ला छीनकर खेलने वाले खिलाड़ी ने फाइनल में 18 छक्के जड़ डाले! और वो खिलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि 20 वर्षीय युवा ऑलराउंडर अर्शिन कुलकर्णी थे।

विरासत से मिली क्रिकेट की चिंगारी

अर्शिन कुलकर्णी कोई आम खिलाड़ी नहीं हैं। क्रिकेट उनके खून में है, क्योंकि यह खेल उन्हें उनके दादा से विरासत में मिला है, जो अपने जमाने के एक तेज गेंदबाज रहे हैं। अर्शिन का क्रिकेट सफर सिर्फ एक जुनून नहीं, बल्कि एक खानदानी परंपरा का विस्तार है। उनके दादा ने उन्हें बचपन से ही अनुशासन, समर्पण और गेंद और बल्ले से दोस्ती करना सिखाया। अर्शिन ने उस विरासत को अपना जुनून बना लिया।

बल्ला छीनने से चैंपियन बनने तक

फाइनल मुकाबले से पहले एक दिलचस्प घटना ने सबका ध्यान खींचा था — टीम के साथी खिलाड़ी वैभव सूर्यवंशी से उनका बल्ला लेकर खेलने उतरे अर्शिन ने विरोधियों की गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में आक्रामक बल्लेबाजी की, लेकिन फाइनल में उन्होंने जो किया, वह ऐतिहासिक था — 18 छक्के, और वह भी निर्णायक मैच में। अर्शिन ने न सिर्फ टीम को जीत दिलाई, बल्कि खुद को महाराष्ट्र के क्रिकेट मंच पर एक बड़ा नाम बना दिया।

ऑलराउंड प्रदर्शन से बनी पहचान

अर्शिन कुलकर्णी सिर्फ बल्लेबाजी में ही नहीं, गेंदबाजी में भी माहिर हैं। उन्होंने टूर्नामेंट में अपनी तेज गेंदों से कई बार विपक्षी बल्लेबाजों को चकमा दिया। यही वजह है कि वह अब मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स जैसे आईपीएल फ्रेंचाइज़ी की रडार पर आ गए हैं।

युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा

अर्शिन कुलकर्णी की यह कहानी सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि एक संघर्ष से शिखर तक पहुंचने की यात्रा है। उन्होंने दिखा दिया कि विरासत मायने रखती है, लेकिन असली पहचान मेहनत और प्रदर्शन से बनती है।

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