सचिन तेंदुलकर के संन्यास के बाद भारत ने पिछले 12 सालों में टेस्ट मैचों में केवल 2 बार 150 से अधिक का लक्ष्य किया हासिल
सचिन तेंदुलकर ने लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए नंबर 4 पर बल्लेबाजी की। राहुल द्रविड़ ने नंबर 3 पर बल्लेबाजी की। द्रविड़ के संन्यास लेने से पहले ही चेतेश्वर पुजारा आ गए थे। फिर सचिन के संन्यास के बाद विराट कोहली नंबर 4 पर बल्लेबाजी करने लगे। सौरव गांगुली की जगह अजिंक्य रहाणे नंबर 5 की जिम्मेदारी संभालने लगे। लेकिन वीवीएस लक्ष्मण ने लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए नंबर 6 की जिम्मेदारी संभाली। आज भी वीवीएस लक्ष्मण टेस्ट इतिहास में नंबर 6 पर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज हैं।
लक्ष्मण दूसरी पारी में नाबाद रहे
वीवीएस लक्ष्मण टेस्ट मैच की तीसरी और चौथी पारी, यानी टीम की दूसरी पारी में नाबाद रहे। टेस्ट की तीसरी पारी में उनका औसत 54 और चौथी पारी में 40.55 का रहा। दबाव की परिस्थितियों में वीवीएस लक्ष्मण का प्रदर्शन और निखरता गया। तीसरी और चौथी पारी को मिलाकर उन्होंने 108 टेस्ट मैचों में 48.88 की औसत से 3471 रन बनाए। भारत के लिए टेस्ट मैच की तीसरी और चौथी पारी में 2000 से ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में, सिर्फ़ सुनील गावस्कर का औसत लक्ष्मण से बेहतर है।
लक्ष्मण की प्लेइंग इलेवन में मौजूदगी में भारत ने टेस्ट की आखिरी पारी में 150 या उससे ज़्यादा रन बनाकर 9 बार जीत हासिल की है। उनके संन्यास के बाद से, टीम 12 सालों में सिर्फ़ चार बार 150 से ज़्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा कर पाई है।
भारत के लिए छठे नंबर पर सबसे ज़्यादा टेस्ट रन
वीवीएस लक्ष्मण- 2760 रन
सौरव गांगुली- 1725 रन
युवराज सिंह- 1484 रन
रवि शास्त्री- 1262 रन
महेंद्र सिंह धोनी- 1218 रन
पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ खेलने की कला
वीवीएस लक्ष्मण में निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के साथ खेलने की कला थी। उन्होंने टीम के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। लक्ष्मण ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मैच की तीसरी पारी में 281 रन भी बनाए थे। लक्ष्मण के संन्यास के बाद ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं आया। 2012 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ से पहले लक्ष्मण ने अचानक संन्यास लेने का फ़ैसला कर लिया।
वीवीएस लक्ष्मण ने उन टेस्ट मैचों की चौथी पारी में 18 बार बल्लेबाज़ी की है जिनमें भारत जीता या मैच ड्रॉ रहा। इस दौरान उन्होंने लगभग 84 की औसत से 671 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने एक शतक और चार अर्धशतक लगाए। कोई भी गेंदबाज़ उन्हें 10 बार आउट नहीं कर सका। 2001 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ चेन्नई टेस्ट की चौथी पारी में 66 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई। 2010 में उन्होंने श्रीलंका में चौथी पारी में शतक लगाया। 2010 में ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मोहाली में 73 रन बनाकर पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई।

