आईपीएल पर अब 40% जीएसटी, भारत के उच्चतम कर स्लैब में पहुँचा दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट लीग
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) महज एक टूर्नामेंट नहीं बल्कि क्रिकेट का त्योहार है। 2008 से शुरू हुआ यह आयोजन आज दुनिया का सबसे अमीर और लोकप्रिय टी20 लीग बन चुका है। खिलाड़ियों की करोड़ों की नीलामी, विज्ञापन सौदे और प्रसारण अधिकारों ने इसे खेल की दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है। लेकिन अब इस भव्य आयोजन को एक नई चुनौती का सामना करना होगा। केंद्र सरकार ने आईपीएल को 40 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में शामिल कर दिया है, जो भारत का सबसे ऊँचा कर वर्ग है।
आईपीएल की ब्रांड वैल्यू और आर्थिक महत्व
आज आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 10 अरब डॉलर से अधिक आँकी जाती है। हाल ही में 2023 से 2027 के बीच के लिए प्रसारण अधिकार लगभग 48,390 करोड़ रुपये में बेचे गए। इतना ही नहीं, टिकट बिक्री, प्रायोजकों और डिजिटल प्रसारण से भी लीग को हर साल हज़ारों करोड़ रुपये की आय होती है। यही कारण है कि इसे भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे सफल क्रिकेट लीग माना जाता है।
फ्रेंचाइजियों के लिए नई मुश्किलें
40 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होने के बाद टीम मालिकों और आयोजकों पर बड़ा आर्थिक दबाव बढ़ जाएगा। पहले से ही खिलाड़ियों की नीलामी, स्टेडियम किराए, सुरक्षा व्यवस्था और आयोजन से जुड़ी गतिविधियों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। अब नए टैक्स स्लैब के कारण उनकी लागत और बढ़ेगी। ऐसे में फ्रेंचाइजियों को या तो अपने संचालन खर्चों में कटौती करनी होगी या फिर दर्शकों और प्रायोजकों से अतिरिक्त आमदनी के रास्ते ढूँढने होंगे।
दर्शकों पर पड़ेगा सीधा असर
आईपीएल की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण दर्शकों की भारी भागीदारी है। स्टेडियम में मैच देखने वालों से लेकर टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर करोड़ों दर्शक हर सीजन में जुड़ते हैं। लेकिन उच्च कर दर का असर सीधा दर्शकों की जेब पर पड़ सकता है। टिकटों की कीमतें बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। साथ ही, ऑनलाइन और टीवी सब्सक्रिप्शन पैकेज भी महँगे हो सकते हैं। यहां तक कि टीम मर्चेंडाइज और स्मृति चिह्नों के दामों में भी बढ़ोतरी की संभावना है।
सरकार का पक्ष
सरकार का तर्क है कि आईपीएल अब केवल खेल आयोजन नहीं बल्कि एक विशाल व्यावसायिक गतिविधि है। इसमें अरबों रुपये का निवेश और लेन-देन होता है। ऐसे में इसे उच्चतम कर वर्ग में शामिल करना उचित है। सरकार का मानना है कि इस टैक्स से मिलने वाली अतिरिक्त आय का उपयोग खेल विकास कार्यक्रमों और देश की बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में किया जाएगा।

