करणी माता मंदिर में सफेद चूहों का दिखना क्यों माना जाता है शुभ? वायरल वीडियो में जानिए रहस्य और मान्यताए

आप जानते ही हैं कि भारत में सैकड़ों चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर हैं। इनमें से कुछ के दर्शन तो आपने किए ही होंगे और कुछ का रहस्य अभी तक सुलझ नहीं पाया है। तो चलिए इस बार हम आपको बताते हैं भारत के राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता के मंदिर का रहस्य।
करणी माता कौन थीं : कहा जाता है कि माता करणी का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। उनका विवाह साठिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था। वैरागी बनने के बाद माता ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और भक्ति और लोगों की सेवा में लग गईं। यह भी कहा जाता है कि सांसारिक जीवन छोड़ने से पहले उन्होंने अपने पति की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दी थी। यह भी कहा जाता है कि माता करीब 151 साल तक जीवित रहीं। जिस स्थान पर माता ने अपनी देह त्यागी थी, वहां आज करणी माता का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर राज्य के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था।
इस मंदिर में हैं हजारों चूहे : यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। यहां जाने पर आपको मंदिर प्रांगण और गर्भगृह में हजारों चूहे नजर आएंगे। कहा जाता है कि यहां करीब 20 हजार चूहे हैं। इसीलिए इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है।
करणी माता मंदिर में सफेद चूहे दिखने का क्या है रहस्य
राजस्थान के बीकानेर शहर के देशनोक कस्बे में स्थित करणी माता मंदिर में करीब 25000 चूहे पाए जाते हैं। इन चूहों को काबा के नाम से पूजा जाता है। मंदिर में हर जगह ये चूहे नजर आते हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि ये चूहे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। अगर आपको इस मंदिर में सफेद चूहे दिख जाएं तो इसे बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। ये एक शुभ संकेत है। ऐसा माना जाता है कि चूहे के दर्शन से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि सफेद चूहे देवी करणी का प्रतीक होते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर में सबसे पहले चूहों को भोग लगाया जाता है, जिसके बाद इसे प्रसाद के तौर पर भक्तों में बांटा जाता है। इस मंदिर में रहने वाले चूहे कभी बाहर नहीं जाते, ये भी हैरान करने वाली बात है। इस मंदिर के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आश्चर्य की बात है कि जहां इतने चूहे हैं, वहां संक्रमण नहीं फैला है।
करणी माता मंदिर कैसे पहुंचे-
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बीकानेर से बसें, जीप और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। यह मंदिर बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन के पास है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
यहां साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। तब यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। आपको बता दें कि मंदिर के पास श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाएं भी हैं।
करणी माता मंदिर का इतिहास
करणी माता के मूल मंदिर का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। वहीं, मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में करीब 15 से 20वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में संगमरमर की नक्काशी की गई है और चांदी के दरवाजे लगाए गए हैं। हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने 1999 में इस मंदिर का विस्तार भी कराया। कहा जाता है कि संवत 1595 की चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार को करणी माता का देहांत हुआ था। तब से यहां करणी माता की पूजा होती आ रही है।