सावन में श्री गणेशाष्टकम् का पाठ क्यों माना जाता है सबसे प्रभावशाली उपाय? वीडियो में जानें इसके चमत्कारी फायदे और सही विधि
सावन का महीना शिवभक्ति के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र माह में भगवान गणेश की आराधना भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है? विशेषकर ‘श्री गणेशाष्टकम्’ का पाठ इस समय एक अचूक उपाय माना जाता है। यह स्तोत्र न केवल विघ्नों को हरने वाला है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाने वाला भी माना गया है।‘गणेशाष्टकम्’ एक अष्टपदी स्तुति है, जो संस्कृत में रचित है और भगवान गणेश के आठ स्वरूपों की महिमा का वर्णन करती है। इसे पढ़ने या सुनने मात्र से ही मानसिक शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है। सावन में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि शिव के प्रथम पूज्य पुत्र गणेश को प्रसन्न किए बिना शिव की पूजा भी अधूरी मानी जाती है।
श्री गणेशाष्टकम् का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य या पूजा की शुरुआत उनसे ही होती है। श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से जीवन के सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं। यह स्तोत्र श्री शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है और इसमें भगवान गणेश के गुणों, स्वरूप, शक्तियों और उनके वरदानी रूप की प्रशंसा की गई है।विशेषकर सावन में, जब आध्यात्मिक ऊर्जा चारों ओर फैली होती है और वातावरण भक्तिभाव से सराबोर होता है, तब यह स्तुति और भी प्रभावशाली मानी जाती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे श्रद्धा और नियम से श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करता है, उसके जीवन में कोई भी कार्य अधूरा नहीं रहता।
सावन में गणेश उपासना क्यों है जरूरी?
भगवान शिव के आराधनात्मक मास सावन में उनके परिवार की पूजा भी जरूरी मानी जाती है। खासकर शिव पुत्र गणेश की, जिनके बिना शिवपूजन भी अधूरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश को प्रसन्न करने से शिवजी की कृपा स्वतः प्राप्त हो जाती है।
इसलिए सावन में श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से न केवल जीवन में सफलता मिलती है, बल्कि रोग, दरिद्रता, भय और मानसिक अशांति जैसे कष्ट भी दूर होते हैं।
श्री गणेशाष्टकम् पाठ विधि
प्रातः काल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने दीपक और धूप जलाकर श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करें।
पाठ के समय मन को एकाग्र रखें और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें।
पाठ के बाद भगवान को दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करें।
संभव हो तो यह पाठ 11, 21 या 108 बार सावन में करें।
पाठ के चमत्कारी प्रभाव
शिक्षा, करियर और परीक्षा में सफलता मिलती है।
व्यापार और नौकरी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
मानसिक तनाव और भय समाप्त होता है।
पारिवारिक क्लेश, बाधाएं और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
विवाह, संतान और संकल्प सिद्धि में सहायक होता है।

