शनिवार को शनि देव के साथ क्यों पूजे जाते हैं पवनपुत्र हनुमान? 3 मिनट के इस दुर्लभ वीडियो में देखिये ये अद्भुत पौराणिक कथा

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है। इन्हें न्याय का ग्रह भी कहा जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि ये हमारे जीवनकाल में किए गए कर्मों पर नजर रखते हैं और उसके अनुसार ही फल देते हैं। हालांकि शनिदेव द्वारा दिए गए दंड के विधान यानी आपके गलत कर्मों की दी जाने वाली सजा के कारण शनि का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। ऐसे में लगभग हर कोई जाने-अनजाने में किए गए गलत कर्मों की सजा से मुक्ति पाने के लिए तमाम प्रयास करता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि दरअसल ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि ये हर किसी के कर्मों का फल देते हैं। वहीं सनातन धर्म के अनुसार सप्ताह में शनिवार का दिन शनिदेव पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र मानता है कि शनिवार का कारक ग्रह शनि है। इनसे कोई भी बुरा कर्म छिपा नहीं रहता। शनिदेव मनुष्य को हर बुरे कर्म का फल जरूर देते हैं। शनिदेव जाने-अनजाने में की गई गलतियों पर भी नजर रखते हैं। इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है।
शनिदेव के साथ हनुमान जी की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन शनिदेव के साथ हनुमान जी की पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक ओर जहां शनिदेव हनुमान जी के 11वें रूद्र अवतार के गुरु सूर्यदेव के पुत्र हैं। वहीं दूसरी ओर शनि भगवान शिव के शिष्य भी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में शनिदेव को अपनी शक्ति पर अभिमान हो गया था। जब उन्हें पता चला कि हनुमान जी भी बहुत शक्तिशाली हैं तो शनिदेव उनसे युद्ध करने चले गए। शनिदेव ने हनुमान जी को चुनौती दी। उस समय वे अपने आराध्य भगवान श्री राम का ध्यान कर रहे थे।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हनुमान जी ने शनि को वापस लौटने को कहा लेकिन शनि बार-बार उन्हें युद्ध के लिए ललकार रहे थे। हनुमान जी भी क्रोधित होकर युद्ध के लिए तैयार हो गए। दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया। हनुमान जी ने शनिदेव पर ऐसा प्रहार किया कि वे बच नहीं सके और घायल हो गए। इसके बाद शनि ने क्षमा मांगी।
हनुमान जी ने क्षमा करते हुए घावों पर लगाने के लिए तेल दिया। तेल लगाते ही शनि के घाव ठीक हो गए और दर्द खत्म हो गया। शनि ने हनुमानजी से कहा कि अब जो भी भक्त आपकी पूजा करेगा उसे शनि के श्राप का सामना नहीं करना पड़ेगा। तभी से शनि के साथ हनुमानजी की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।
ज्योतिषी ने बताया कि एक अन्य कथा के अनुसार शनि को हनुमानजी ने रावण की कैद से मुक्त कराया था, ऐसे में शनि की कैद में मिले घावों के कारण शनिदेव को दर्द हो रहा था। यह देखकर हनुमानजी ने शनिदेव को घावों पर लगाने के लिए तेल दिया। तेल लगाते ही शनि के घाव ठीक हो गए और दर्द खत्म हो गया। शनि ने हनुमानजी से कहा कि अब जो भी भक्त आपकी पूजा करेगा उसे शनि के श्राप का सामना नहीं करना पड़ेगा। तभी से शनि के साथ हनुमानजी की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।