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खाटू श्याम जी को क्यों कहा जाता है ‘हारे का सहारा’? कुछ मिनटों के इस लीक्ड फुटेज में देखे वो दिव्या कथा जो जीवन को बदल सकती है

खाटू श्याम जी को क्यों कहा जाता है ‘हारे का सहारा’? कुछ मिनटों के इस लीक्ड फुटेज में देखे वो दिव्या कथा जो जीवन को बदल सकती है

हम सभी जानते हैं कि आज के समय में भगवान खाटू श्याम से लोगों की आस्था कितनी गहरी जुड़ी हुई है। घर हो या गाड़ी, हर किसी को खाटू श्याम की तस्वीर, लॉकेट या मूर्ति दिख ही जाती है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है, खाटू श्याम नाम के पहले ज़्यादातर "हरे का सहारा" शब्द लगाया जाता है। जिसका मतलब बहुत कम लोग जानते हैं। उनके भक्तों के लिए इस शब्द का मतलब बस संकट दूर करने वाले भगवान होगा, लेकिन आपको बता दें कि इसके साथ कुछ और रहस्य भी जुड़े हुए हैं। जी हां, अगर आप खाटू श्याम जाने का प्लान बना रहे हैं तो "हरे का सहारा" कहने से पहले इसका मतलब जान लें।


कौन हैं भगवान खाटू श्याम जी?
जिन्हें आप खाटू श्याम जी के नाम से जानते और पूजते हैं, वो कोई और नहीं बल्कि पांडवों के भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे हैं। इनका असली नाम बर्बरीक है। प्राचीन कथाओं के अनुसार बर्बरीक बचपन से ही एक वीर योद्धा थे और खुद भगवान कृष्ण ने उन्हें कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। इस वरदान के पीछे एक बहुत ही रोचक बात छिपी हुई है।

खाटू श्याम जी को 'हारे का सहारा' क्यों कहा जाता है?

महाभारत युद्ध के समय बर्बरीक भी इस युद्ध में शामिल होना चाहते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि कौरवों के मुकाबले पांडवों की सेना बहुत कम है। ऐसे में पांडवों के लिए युद्ध जीतना बहुत मुश्किल था। बर्बरीक ने अपनी मां से कहा कि वह उसी का साथ देंगे जो युद्ध में हार रहा होगा। अपनी मां से आज्ञा लेकर बर्बरीक युद्ध भूमि में पहुंचे और देखा कि युद्ध में कौरवों का पक्ष कमजोर है। ऐसे में उन्होंने कौरवों की ओर से लड़ने का फैसला किया। इसी वजह से उन्हें 'हारे का सहारा' कहा जाता है।

खाटू श्याम जी के पास जरूर पूरी होती हैं मनोकामनाएं

जब भगवान कृष्ण को बर्बरीक के युद्ध में आने के बारे में पता चला तो उन्होंने समझ लिया कि जिस पक्ष से बर्बरीक लड़ेगा, उसकी जीत निश्चित होगी। ऐसे में श्री कृष्ण ब्रह्मा का वेश धारण करके बर्बरीक के पास पहुंचे और उनसे उनका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक ने उसे सिर दे दिया, जिसके बाद श्री कृष्ण ने उसे आशीर्वाद दिया कि कलियुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे और पूजे जाओगे। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई भक्त अपनी इच्छा लेकर खाटू श्याम भगवान के पास जाता है, तो उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है।

जानिए खाटू श्याम कब खुलता है और कब बंद रहता है

सर्दियों में: मंदिर सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।

गर्मियों में: गर्मियों में मंदिर सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है।

खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुँचें

मंदिर तक पहुँचना बहुत आसान है। आप यहाँ सड़क या ट्रेन से आ सकते हैं। मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस जंक्शन (RGS) है, जो मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। स्टेशन के बाहर आपको कई कैब और जीप (निजी या साझा) मिलेंगी जो आपको मंदिर तक ले जाती हैं। दिल्ली और जयपुर से रींगस तक कई ट्रेनें चलती हैं। निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। यहाँ से आप सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। सबसे अच्छा मार्ग सवाई जय सिंह राजमार्ग से जयपुर-सीकर रोड और फिर आगरा-बीकानेर रोड (जिसे NH 11 के नाम से भी जाना जाता है) है। जयपुर और खाटू के बीच कई निजी और सरकारी बसें भी चलती हैं। हालाँकि, इन बसों में आरक्षित सीटें उपलब्ध नहीं हैं। खाटू बस स्टॉप से, आप मंदिर तक ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।

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