बुधवार के दिन श्रीगणेश अष्टकम का पाठ क्यों है बेहद शुभ? 3 मिनट के इस दुर्लभ वीडियो में जानिए इसके नियम, मंत्र और दिव्य लाभ

बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और बुद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, सिद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा गया है। वे समस्त कष्टों को हरने वाले और जीवन की बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। ऐसे में यदि बुधवार के दिन श्रीगणेश की विशेष पूजा के साथ-साथ "श्रीगणेश अष्टकम" (Shri Ganesh Ashtakam) का पाठ किया जाए, तो भक्त को चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं।
क्या है श्रीगणेश अष्टकम?
श्रीगणेश अष्टकम एक अष्टक (आठ श्लोकों वाला स्तोत्र) है, जिसकी रचना आदि शंकराचार्य ने की थी। इस स्तोत्र में भगवान गणेश की महिमा, स्वरूप, गुण और कृपा का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्त के मन, बुद्धि, और आत्मा को एकाग्र कर भगवान गणेश से जुड़ने का माध्यम बनता है।इसका पाठ करते समय व्यक्ति के मन से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है। खासकर बुधवार के दिन यह पाठ करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
बुधवार को श्रीगणेश अष्टकम का पाठ क्यों है विशेष?
ग्रह दोषों से मुक्ति:
जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें बुधवार के दिन श्रीगणेश अष्टकम का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे बुध से संबंधित दोषों का शमन होता है और व्यक्ति को वाणी, व्यापार और विवेक में लाभ प्राप्त होता है।
विघ्नों का नाश:
जीवन में बार-बार रुकावटें आ रही हों, काम बनते-बनते बिगड़ जाते हों या अचानक परेशानियाँ सामने आ जाती हों, तो श्रीगणेश अष्टकम का पाठ चमत्कारी रूप से असर करता है।
बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि:
विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों और बुद्धि कार्यों से जुड़े लोगों के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है। यह मन को एकाग्र करता है और स्मरण शक्ति को प्रबल बनाता है।
व्यापार में सफलता:
यदि व्यापार में लगातार घाटा हो रहा हो या सौदे बिगड़ते हों, तो बुधवार को गणपति पूजन के साथ यह अष्टक पढ़ना शुभ होता है। श्रीगणेश की कृपा से व्यापार में स्थिरता और लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है।
श्रीगणेश अष्टकम का पाठ कैसे करें?
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर या पूजा स्थल में गणेश जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
उन्हें दूर्वा, लड्डू, और पीले पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद शांत चित्त होकर श्रीगणेश अष्टकम का पाठ करें।
पाठ के अंत में "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 11 या 108 बार जप करें।
विशेष बात: यदि कोई व्यक्ति इस पाठ को लगातार 21 बुधवार तक श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है, तो उसकी हर अधूरी कामना पूर्ण होने लगती है।
श्रीगणेश अष्टकम का अर्थपूर्ण भाव
श्रीगणेश अष्टकम के श्लोकों में भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों, जैसे – एकदंत, गजमुख, वक्रतुंड, लम्बोदर आदि का वर्णन है। प्रत्येक श्लोक उनके किसी विशेष गुण, शक्ति और कृपा को प्रकट करता है।इन श्लोकों में भगवान गणेश को सर्वत्र विद्यमान, सर्वज्ञ, दयालु, कल्याणकारी और भक्तवत्सल बताया गया है। यह स्तोत्र न केवल भगवान की स्तुति है, बल्कि एक आत्मिक साधना भी है जो आत्मा को शुद्ध करती है।
किन्हें जरूर करना चाहिए यह पाठ?
विद्यार्थियों को
व्यापारी और उद्यमियों को
जिनका मन चंचल और अस्थिर रहता हो
जिनके जीवन में बाधाएं और विघ्न लगातार सामने आ रहे हों
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से परेशान लोग