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क्यों कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र से यमराज भी डरते हैं? वायरल क्लिप में जानिए मंत्र के पीछे छिपा अमरत्व का रहस्य

क्यों कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र से यमराज भी डरते हैं? वायरल क्लिप में जानिए मंत्र के पीछे छिपा अमरत्व का रहस्य

सनातन धर्म की परंपरा में कई ऐसे मंत्र और स्तोत्र हैं जिन्हें चमत्कारी माना जाता है, लेकिन इनमें से कुछ मंत्र ऐसे हैं जो सीधे ब्रह्मांडीय ऊर्जा को जगाकर जीवन और मृत्यु के रहस्यों पर प्रभाव डालते हैं। महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं में से एक है, जिसे 'मृत्यु को जीतने वाला मंत्र' भी कहा जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक रूप से बल प्रदान करता है, बल्कि चिकित्सा, मानसिक शक्ति, भयमुक्ति और दीर्घायु के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।


क्या है महामृत्युंजय मंत्र?
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और इसे ऋषि मार्कंडेय द्वारा सिद्ध किया गया था। पौराणिक मान्यता है कि जब ऋषि मार्कंडेय की आयु 16 वर्ष की हो गई थी और मृत्यु उनके द्वार पर खड़ी थी, तब उन्होंने इसी महामंत्र का जप करते हुए भगवान शिव का ध्यान किया, जिसके फलस्वरूप यमराज स्वयं भी पीछे हट गए और उन्हें अमरत्व का वरदान मिला।

क्यों कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु को भी घुटने टेकने पर कर देता है मजबूर?
महामृत्युंजय मंत्र को "संजीवनी मंत्र" भी कहा जाता है। इस मंत्र में अद्भुत कंपन (Vibration) और ध्वनि तरंगें हैं जो हमारे शरीर, मन और आत्मा पर एक साथ प्रभाव डालती हैं। इसका लगातार जप शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, मानसिक अशांति को शांत करता है और सबसे महत्वपूर्ण – जीवन के संकटों से जूझने की शक्ति देता है।जब कोई व्यक्ति गंभीर रोग से ग्रस्त होता है या जीवन के अंतिम क्षणों में होता है, तब इस मंत्र के प्रभाव से उसके चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच निर्मित हो जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस मंत्र का जाप मृत्यु के समीप पहुंचे व्यक्ति के जीवन को पुनः ऊर्जा दे सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महामृत्युंजय मंत्र
आधुनिक विज्ञान भी अब ध्वनि तरंगों और मंत्रों की शक्ति को स्वीकार कर रहा है। रिसर्च से यह साबित हुआ है कि 112 हर्ट्ज से 528 हर्ट्ज तक के ध्वनि कंपन शरीर के भीतर कोशिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण इसी प्रकार की फ्रीक्वेंसी उत्पन्न करता है, जो शरीर के रोगों को दूर करने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को स्थिर करता है।

कब और कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप?
सुबह के ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे) में जाप करना श्रेष्ठ माना गया है।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके कमलासन या कुशासन पर बैठें।
मानसिक रूप से भगवान शिव का ध्यान करते हुए शुद्ध उच्चारण के साथ मंत्र का जप करें।
रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
जाप से पूर्व संकल्प लें कि यह जाप आप किस उद्देश्य से कर रहे हैं – रोग मुक्ति, भय निवारण, शांति या दीर्घायु हेतु।
किन परिस्थितियों में इस मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाना चाहिए?
गंभीर बीमारी या ऑपरेशन से पहले/बाद

दुर्घटना या जीवन संकट के समय
मानसिक तनाव या भय की स्थिति में
किसी विशेष तिथि जैसे महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या या प्रदोष व्रत के दिन
मृत्यु तुल्य स्थिति में किसी परिजन के लिए

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
दीर्घायु प्रदान करता है
रोगों से सुरक्षा देता है
मन को शांत और स्थिर करता है
भय और असुरक्षा की भावना को दूर करता है
आत्मिक शक्ति और विश्वास को बढ़ाता है
मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है
कष्टमय जीवन स्थितियों से बाहर निकलने में सहायक

विशेष चेतावनी
हालांकि यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है, लेकिन इसका जाप बिना शुद्धता और ध्यान के नहीं किया जाना चाहिए। शुद्ध उच्चारण, मानसिक पवित्रता और नियमितता इसके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है। साथ ही, मंत्र के साथ 'संकल्प' अवश्य जोड़ें, जिससे ब्रह्मांडीय ऊर्जा आपके लक्ष्य की ओर प्रवाहित हो सके।

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